
क्यों तेजी से बढ़ रहा है एसआईपी का ग्राफ
पर्सनल फाइनेंस यानी आपकी जिंदगी की वो प्लानिंग जहां आप अपने सभी आर्थिक फैसले, बेखौफ और बेझिक होकर ले सकें। योर मनी आपको इन्ही फैसलों को लेने का भरोसा देता है। आज निवेश के गुरूमंत्र जानिए एटिका वेल्थ मैनेजमेंट के निखिल कोठारी से।
शुरुआत करते हैं एसआईपी से। जनवरी के महीने में एसआईपी के फोलियो में 37 फीसीदी का इजाफा हुआ है। 2015-16 के पहले 9 महिनो में ये फोलियो बनाए गए हैं। अब निवेशकों को ये बात समझ में आ रही है कि बाजार में आने वाले उतार-चढ़ाव से एसआईपी के जरिए बचा जा सकता है। आपको बता दें कि टियर -2 और टियर -3 शहरों में एसआईपी फोलियो में 50 फीसदी की इजाफा हुआ है। दिसंबर 2015 में औसत एसआईपी साइज 2938 रुपये थी, जो मार्च 2014 में 2742 और मार्च 2013 में 2,100 रुपये थी। इस तरह हमें 30 महीनों में एसआईपी फोलियो में 35 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। जिससे ये साफ होता है कि निवेशक एमएफ को कम जोखिम भरा मानते हैं।
दूसरी तरफ एएमएफआई के मुताबिक पिछले 20 महिनो में जनवरी में इक्विटी म्यूच्यूअल फंड में सबसे कम निवेश हुआ है। जनवरी 2015 के 7,550.25 के मुकाबले 2016 में 2,914 का निवेश हुआ है। इक्विटी फंड के एयूएम में 5.25 फीसदी की गिरावट देखी गई है। ऐसे में सवाल ये हैं कि क्या निवेश को लेकर लोगों के सेंटीमेंट में कोई कन्फ्यूजन है? क्योंकि एसआईपी तो लगातार हो रही है लेकिन इक्विटी एमएफ के इनफ्लो में कमी आ रही है। इसका क्या मतलब है, क्या हमें अब इक्विटी एमएफ से निकल जाना चाहिए!
इस सवाल पर निखिल कोठारी का कहना है कि एसआईपी छोटे निवेशकों के लिए निवेश का आसान जरिया है। लंबी अवधि में एसआईपी से अच्छा रिटर्न मिल सकता है। अभी बाजार को लेकर काफी अनिश्चितता और डर आ गया है, जिसकी वजह से इक्विटी एमएफ निवेश में जनवरी में कमजोरी देखने को मिली है। लेकिन आगे चलकर बाजार में स्थिरता आने पर इक्विटी एमएफ में निवेश बढ़ेगा।
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