
डाटा प्राइवेसी को लेकर सरकार बनाएगी सख्त कानून
आपके इजाजत के बिना आपका डाटा कोई भी शेयर नहीं कर पाएगा। ये सिफारिश की है डाटा प्रोटक्शन पर बनी जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा कमेटी ने। कमिटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है। इस रिपोर्ट के ड्राफ्ट के मुताबिक ग्राहकों का डाटा इक्ठ्ठा करने वाले कंपनियों को उसे किसी तीसरे व्यक्ति के साथ शेयर करने से पहले उपभोक्ता की मंजूरी लेना जरुरी होगा। साथ ही कंपनियों को ये भी बताना होगा कि इसका इस्तेमाल किस उद्देशय के लिए होगा और अगर कंपनियां ऐसा नहीं करती है तो उसे भारी जुर्माना चुकाना होगा।
बीएन श्रीकृष्णा कमेटी यूरोपीय जनरल डाटा प्रोटक्श रेग्यूलेशन की तर्ज पर जुर्माना लगाने पर विचार कर रही है। यूरोपीयन डाटा प्रोटक्शन कानून डाटा प्रोटेक्शऩ का सबसे सशक्त कानून है। इसके तहत कंपनियों को उपोभोक्ता के डाटा का गलत इस्तेमाल करने पर 20 मिलियन यूरो या फिर उनकी आय का 4 फीसदी हिस्सा जुर्माने के तौर पर देना होता है। भारत में डाटा प्रोटेक्शन को लेकर कोई कडा कानून नहीं है। ऐसे में सरकार ने इसके लिए एक 10 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन डाटा पर निगरानी करने के लिए सोशल मीडिया हब के गठन के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के निर्णय पर सख्त रूख अपनाते हुए कहा है कि ये निगरानी राज बनाने जैसा होगा। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार लोगों के वॉट्सऐप मैसेज पर नजर रखना चाहती है। ये ऐसा देश बनाने जैसा होगा जहां हर किसी की निगरानी होती हो।
कोर्ट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से दो हफ्ते के अंदर इस मामले में जवाब मांगा है। दरअसल सरकार देश के हर जिले में एक सोशल मीडिया हब बनाना चाहती है। इसमें सोशल मीडिया पर लिखे जा रहे कंटेंट की निगरानी होगी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस पर कोर्ट ने अब सरकार से जवाब मांगा है।