को-वर्किंग स्पेस में डिमांड अच्छी, 2017 में शुरू हुए ABL Workspaces का सफरनामा
को-वर्किंग सेगमेंट में पिछले कुछ सालों में कई स्टार्टअप्स उभरे हैं लेकिन अब भी इस सेगमेंट में डिमांड कम नहीं है। इसी डिमांड के और बढ़ने के भरोसे के साथ स्टार्टअप ABL WORKSPACES ने करीब 3 साल पहले को-वर्किंग सेगमेंट में कदम रखा और अब इनका सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। अब तक के इस सफर से हौंसले बड़े हैं और विदेश में भी एक्सपेंशन की तैयारी है।
मल्टीनेशनल कंपनियों से लेकर स्टार्टअप्स तक, सभी में को-वर्किंग स्पेस में ऑफिस खोलने की दिलचस्पी बढ़ी है। बेहतर सर्विसेस और कम लागत इस रुझान की बड़ी वजह हैं। इसी सेगमेंट में बढ़ते मौके का फायदा उठा रहा है स्टार्टअप ABL WORKSPACES। कंपनी की को-फाउंडर अक्षिता गुप्ता को बतौर आंत्रेप्रेन्योर ऑफिस स्पेस ढ़ूढ़ने में काफी दिक्कतें हुईं और अपने जैसे कई और लोगों की दिक्कत हल करने के लिए उन्होंने 2017 में शुरू किया ABL WORKSPACES। इस नई शुरुआत में उनका साथ दिया उनके लाइफ पार्टनर अंकुर गुप्ता ने जिन्हें रियल एस्टेट सेक्टर में अनुभव है।
दिल्ली के ग्रीन पार्क में पहली को-वर्किंग प्रॉपर्टी के साथ ABL Workspaces ने शुरुआत की और आज दिल्ली-NCR में 10 को-वर्किंग सेंटर्स हैं। हाल ही में कंपनी ने नोएडा में 7 करोड़ रुपए के निवेश से नया वर्किंग स्पेस तैयार किया है। इन सेंटर्स में जोमैटो, बीरा, लिवस्पेस, लोढा, क्रेडेक्स जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने ऑफिस जमाए हैं। स्टार्टअप जरूरत के हिसाब से 50 से लेकर 800 सीट्स की कैपेसिटी के वर्किंग स्पेस देता है। कंपनी के को फाउंडर अंकुर गुप्ता के मुताबिक को वर्किंग स्पेस में काफी बिजनेस पोटेंशियल है।
ABL WORKSPACES के लिए शुरुआती निवेश सिर्फ 50 लाख रुपए का किया गया और आज इस बिजनेस का सलाना टर्नओवर 10-11 करोड़ रुपए हो गया है। अगले 5 सालों में स्टार्टअप की योजना दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरु समेत हॉंन्ग-कॉंन्ग, सिंगापुर और टोरोंटो में को-वर्किंग स्पेस खोलने की है। इस बड़े एक्सपैंशन के लिए कंपनी अब फंडिंग के बेस्ट ऑप्शन की तलाश में है।
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