कैसे खास लैब्स के जरिए 1000 से ज्यादा स्कूलों तक इस स्टार्टअप ने बनाई पहुंच
इनोवेशन का बीज बचपन में ही डाल दिया जाए, तो सिर्फ विज्ञान और टेकनोलॉजी ही नहीं, बल्कि हर फील्ड में नए एक्सपेरिमेंट्स दिखेंगे। इसके लिए स्कूलों में कई तरह के प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं। सरकार के इसी पुश में स्टार्टअप Stemrobo को ग्रो करने का मौका मिला। Stemrobo इनोवेटिव एक्टिविटीज और किट के जरिए बच्चों में वैज्ञानिक सोच डेलवेप करने में मदद कर रहा है। इनके बिजनेस पर सरकार और नीति आयोग ने भी भरोसा दिखाया है। इनका अब तक का सफर देखिए।
दिल्ली के इस DPS स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे भी बड़े कारनामे कर रहे हैं। इनमें से एक हैं रेहान सैफई जिन्होंने नेत्रहीनों को विजुअली एम्पावर्ड बनाने के लिए ब्लाइंड स्टिक और ब्लाइंड ग्लासेस डेलवेप किए हैं। इन डिवाइस में लगे अल्ट्रासोनिक सेंसर की मदद से किसी भी ऑब्जेक्ट के नजदीक आने से पहले ही ब्लाइंड ग्लास बीप और स्टिक वाइब्रेट होना शुरू हो जाती है। रेहान को ऐसा डिवाइस डेवलेपकरने में स्टार्टअप Stemrobo से मदद मिली।
बच्चों को खेल-खेल में STEM-रॉबोटिक्स, इनोवेशन, क्रिएटिविटी और टेक्नोलॉजी फ्रेंडली बनाने के मकसद से साल 2016 में अनुराग गुप्ता और राजीव तिवारी ने Stemrobo की शुरुआत की। इस स्टार्टअप का फोकस चौथी से लेकर 12वीं क्लास के स्टूडेंट्स पर है।
अपने B2B मॉडल के तहत Stemrobo ने अब तक 1000 से ज्यादा स्कूलों में टिंकरिंग और इनोवेशन लैब्स सेटअप किए हैं। इनसे करीब 5 लाख स्टूडेंट्स जुड़े हैं। वहीं अपने B2C सेगमेंट के तहत स्टार्टअप हार्डवेयर किट, सॉफ्टवेयर और कॉन्टेंट मुहैया कराता है।
Stemrobo पर निवेशकों ने भी भरोसा जताया है और अब तक HNIs से करीब 50 लाख रुपए तो वहीं Electropreneur Park के CSR Grants के जरिए 10 लाख रुपए की फंडिंग हासिल हुई है।
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