दिल्ली-NCR में अभी बन चुके फ्लैटों का स्टॉक निकालने में लग जाएंगे लगभग 4 साल

Real Estate Developers को अपने बने फ्लैटों का स्टॉक निकालने में काफी समय लग रहा है। Property Consultant फर्म Anarock की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बने मकानों का स्टॉक निकालने में बेंगलुरु के बिल्डरों को सबसे कम 15 महीनों का समय लगेगा। वहीं दिल्ली-NCR के बिल्डरों को अपने बन चुके फ्लैटों को बेचने में साढ़े तीन साल से अधिक यानी 44 महीने लगेंगे।
सितंबर तिमाही के अंत तक सात प्रमुख शहरों- दिल्ली-NCR, मुंबई मेट्रोपॉलिटन एरिया, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में बन चुके लेकिन बिक नहीं पाए फ्लैटों की संख्या 6.56 लाख थी।
इन बड़े सात शहरों में 2019 की तीसरी तिमाही तक फ्लैटों का 30 महीने का स्टॉक था। एक साल पहले इसी अवधि में यह वक्त 37 महीने था। देश की आईटी राजधानी बेंगलुरु में फ्लैटों का स्टॉक निकालने में सबसे कम यानी 15 महीने का समय लगेगा। वहीं एनसीआर में सबसे अधिक यानी 44 महीनों का समय लगेगा।
मौजूदा बाजार परिदृश्य से इस बात का संकेत मिलता है कि फ्लैटों के स्टॉक को निकालने में कितना समय लगेगा।
एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि अब बिल्डर अपना स्टॉक निकाले पर ध्यान लगा रहे हैं। इसके अलावा बिल्डरों ने बाजार में अपनी सप्लाई भी सीमित कर दी है। चेन्नई में बन चुके फ्लैटों को निकालने में 31 महीने, मुंबई में 34 महीने और कोलकाता में 38 माह का समय लगेगा।
एनसीआर हाउसिंग मार्केट के तौर पर इस समय देश का सबसे प्रभावित मार्केट है। यहां फ्लैटों के स्टॉक को निकालने में कम से कम 44 महीनों का समय लगेगा। हालांकि, 2018 की तीसरी तिमाही में यह 58 माह था।
आंकड़ों के अनुसार, 2019 की तीसरी तिमाही के आखिर तक शीर्ष सात शहरों में कुल मिलाकर बिक नहीं फ्लैटों की संख्या 6.56 लाख थी। सालाना आधार पर यह करीब पांच प्रतिशत की कमी है। वहीं इससे दो साल पहले की तुलना में यह 12 प्रतिशत कम है।
सोशल मीडिया अपडेट्स के लिए हमें Facebook (https://www.facebook.com/moneycontrolhindi/) और Twitter (https://twitter.com/MoneycontrolH) पर फॉलो करें।