क्या टैक्स खा जाते हैं आपके लाभ

अनिल रेगो
निवेश की दुनिया बड़ी व्यापक और उलझी हुई है। ज्यादातर लोग इसकी जटिलताओं को देख नहीं पाते या अनदेखा कर देते हैं। कई बार निवेश का फैसला बिना सोचे समझे किसी रिश्तेदार या दोस्त या सहकर्मी के सुझाव पर ही कर लिया जाता है। निवेश में केवल प्रतिफल या लाभ पर ही नजर नहीं रखनी चाहिए बल्कि मुद्रास्फीति या करों जैसे परिवर्तनशील कारकों पर भी गौर करना चाहिए।
पब्लिक प्राविडेंट फंड (पीपीएफ) बनाम बैंकों के फिक्स्ड डिपाजिट (एफडी)
बाहरी तौर पर देखा जाए तो पीपीएफ और एफडी एक जैसे दिखाई देते हैं। दोनों में जोखिम कम होता है और प्रतिफल या मुनाफे की दर तकरीबन समान व साधारण होती है। पीपीएफ की अवधि 15 साल होती है। एफडी की अवधि अलग-अलग हो सकती है। अब करों के पहलू पर विचार करते हैं। जहां तक कर छूटों (डिडक्शन) का सवाल है दोनों पर ही 80सी के तहत रियायतें हासिल हैं। हालांकि एफडी में पांच साल की लॉक-इन अवधि पर ही छूट हासिल है।
एफडी पर प्राप्त प्रतिफल पर कर लगता है। पीपीएफ पर प्रतिफल पूरी तरह कर मुक्त है। इसलिए इन दोनों विकल्पों पर प्रतिफल तो 8 फीसदी ही होता है। कर चुकाने के बाद पीपीएफ पर प्रतिफल 8 फीसदी रहता है लेकिन एफडी पर प्रतिफल 5.6 फीसदी (अगर आप 30 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में हैं) होता है।
एनएससी, केवीपी और भारत सरकार के बांडः
राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) और किसान विकास पत्र (केवीपी) में 8 फीसदी प्रतिफल मिलता है। यह ब्याज कर योग्य है। अगर आप 30 फीसदी के टैक्स दायरे में हैं तो कर चुकाने के बाद आपको 5.6 फीसदी का प्रतिफल मिलता है।
इसलिए आपको ऐसे विकल्पों में निवेश पर विचार करना चाहिए जिनमें कर चुकाने के बाद अच्छा मुनाफा मिलता है या जिनमें प्रतिफल पर कोई कर नहीं लगता। उन विकल्पों में निवेश से बचना ही चाहिए जहां कर देयता काफी ज्यादा बनती है।
इक्विटी म्यूचुअल फंड व स्टॉक
लंबी अवधि में इक्विटी में निवेश में जोखिम कम है। यदि योजना बनाकर निवेश किया जाए तो इक्विटी में घाटे की आशंका कम रहती है। इक्विटी म्यूचुअल फंड या सीधे ही शेयर खरीदना लंबी अवधि में ही कर देयता के हिसाब से फायदेमंद है। अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड या शेयरों को एक साल तक रखने के बाद बेचते हैं तो आपको कोई कर नहीं चुकाना होगा। अगर आप इन्हें एक साल से पहले बेच देते हैं तो 15 फीसदी अल्पअवधि पूंजीगत लाभकर चुकाना होगा।
बीमा बनाम पेंशन प्लान
पेंशन प्लान निवेशकों में काफी लोकप्रिय रहे हैं। एक निश्चित समय तक प्रीमियम भरी जाती है और उसके बाद पेंशन का भुगतान शुरू हो जाता है। भुगतान पर सामान्य दर से ही कर चुकाना होगा।
हालांकि बीमा जैसी योजनाओं, गारंटीड, बोनस लिंक्ड या यूनिट लिंक्ड योजनाओं से प्राप्त आय कर मुक्त हैं। इसलिए साल-दर-साल निकासी वाले विकल्प वाली जीवन बीमा योजनाओं का चुनाव करना बेहतर है। ये भुगतान कर मुक्त हैं।
डेट फंड बनाम बैंक डिपाजिट
बहुत ही कम अवधि की जमाओं के लिए लिक्विड फंड अच्छा निवेश है।
टेबल
कहांक्या |
बैंक डिपाजिट |
लिक्विड प्लस |
राशि निवेश | 1 लाख रु | 1 लाख रु |
अवधि |
90 दिन |
90 दिन |
सालाना लाभ |
5.25% | 6% |
मैच्योरिटी रकम |
101270 रु |
101447 रु |
लाभ पर कर | 30.9% | - |
डिवीडेंड टैक्स (डीडीटी) |
- |
14.16% |
लागू टैक्स | 392 रु | 205 रु |
कर पश्चात लाभ |
877 रु |
1242 रु |
कर पश्चात प्रतिफल सालाना |
3.61% |
5.13 |
(लिक्विड प्लस फंड 09 के लिए औसत रिटर्न)
-कर दरों में 3 फीसदी उपकर शामिल
एफएमपी
अगर आप एक साल से ज्यादा अवधि का निवेश ढूंढ़ रहे हैं तो फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) को भी देख सकते हैं। यह अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। एफएमपी में निवेशक को दोहरे इंडेक्सेशन का लाभ मिल सकता है। वित्त वर्ष खत्म होने के ठीक पहले इस विकल्प को अपनाया जा सकता है। अगले वित्त वर्ष के खत्म होने के पहले निकासी की जा सकती है।
जैसे 13 माह का एक एफएमपी, जो मार्च 2007 में लांच हुआ, अप्रैल 2008 में परिपक्व हो जाएगा। यह दो वित्त वर्ष में से गुजरेगा। इसलिए दोहरे कॉस्ट इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा।
ब्योरा |
बैंक एफडी |
एफएमपी इंडेक्सेशन |
एफएमपी बिना इंडेक्सेशन |
निवेश रु | 10000 | 10000 |
10000 |
सालाना लाभ |
9.5% |
9.5% | 9.5% |
अवधि माह |
13 |
13 | 13 |
मैच्योरिटी रकम |
11033 |
11033 |
11033 |
प्रतिफल रु |
1033 |
1033 |
1033 |
इंडेक्स लागत रु |
- |
11214 |
- |
इंडेक्स्ड लांग टर्म कैपिटल गेन |
- | -181 | - |
कर दरें |
30.3% |
20.6% | 10.3% |
कर रु. |
313 |
- | 106 |
कर पश्चात लाभ |
720 | 1033 | 927 |
कर बाद प्रतिफल |
6.63% |
9.5% |
8.52% |
लागत मुद्रास्फीति इंडेक्स |
FY06-07 - 519 | FY08-09 – 582 |
स्पष्ट है कि एफएमपी पर कर पश्चात प्रतिफल दोहरे इंडेक्सेशन के साथ 50 फीसदी से ज्यादा होते हैं।
सोना
सोने के जेवरात अगर 36 माह से कम अवधि में बेचे जाते हैं तो शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और सामान्य कर दरें लागू होती है। तीन साल के बाद इंडेक्सेशन के लाभ दिए जाते हैं। सामान्य तौर पर 10-20 फीसदी टैक्स लगता है। सोच समझकर ही सोने में निवेश करें। सोने के मुकाबले माइनिंग फंड (म्यूचुअल फंड) या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड कर देयता के लिहाज से ज्यादा फायदेमंद हैं।
रीयल एस्टेट
अगर आप संपत्ति 36 माह से पहले बेचते हैं तो सामान्य दर से कर चुकाने होंगे। अगर संपत्ति आवासीय है और प्राप्त आय दोबारा निवेश की जाती है तो छूट का दावा पेश करना होगा। बाजार का चक्र लंबा होता है। संपत्ति आसानी से नहीं बेची जा सकती।