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by shradha tulsyan | SEPT 4,
2025
किचन में गलती से भी ना करें काम, घर में फैलता है वास्तु दोष
गंदगी, जूठे बर्तन और टूटे फूटे बर्तन नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं, जिससे आर्थिक तंगी और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
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चूल्हा हमेशा दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण) में होना चाहिए और सिंक, जल आदि जल के तत्व के लिए उत्तर-पूर्व में रखा जाए।
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सबसे अच्छा किचन दक्षिण-पूर्व दिशा में होता है। यदि यह संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम भी किया जा सकता है, लेकिन ईशान कोण में किचन रखना अशुभ माना जाता है।
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मकड़ी के जाले और पुरानी गंदगी से वास्तु दोष बढ़ता है, इसलिए इन्हें नियमित रूप से साफ करना जरूरी है ताकि नकारात्मक ऊर्जा न बचे।
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किचन के लिए पीला, नारंगी और लाल रंग शुभ माने जाते हैं। दीवारों को ऐसे रंगों में पेंट करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
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किचन में तुलसी का पौधा, कपूर की सुगंध और वास्तु क्रिस्टल जैसे प्राकृतिक उपाय दोष को कम करते हैं और ऊर्जा को संतुलित करते हैं।
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अगर किचन का द्वार घर के मुख्य द्वार के सामने है तो बीच में पर्दा लगाना चाहिए, जिससे नकारात्मक ऊर्जा को रोका जा सके।
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