Dharmendra passes away: हिंदी सिनेमा के सदाबाहर और हैंडसम हंक धर्मेंद्र का आज निधन हो गया है। उन्होंने सनी देओल के घर पर आखिरी सांस ली। एक्टर का अंतिम संस्कार करने के लिए पूरा देओल परिवार शमशान घाट पहुंच चुका है। वहीं अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन भी एक्टर को अंतिम विदाई देने पहुंचे हैं। अपने 6 दशक के करियर में धर्मेंद्र ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया है। अगले महीने की 8 तारीक को वह अपना 90वां जन्मदिन मनाने वाले थे।
8 दिसम्बर 1935 को पंजाब में जन्में धर्मेंद्र का पूरा नाम धरम सिंह देओल था। धर्मेंद्र के पिता स्कूल में हेडमास्टर हुआ करते थे। अपने गांव से मीलों दूर धर्मेंद्र ने एक बार सिनेमाघर में सुरैया की फिल्म 'दिल्लगी' को देखा। इसके बाद उनपर एक्टिंग का जुनून सवार हो गया था।
धर्मेंद्र ने 40 दिनों तक लगातार 'दिल्लगी' फिल्म देखी और इस फिल्म देखने के लिए खूब दूर तक पैदल चलते थे। धर्मेंद्र फिर जानकारी मिली कि फिल्मफेयर पत्रिका नई प्रतिभा की खोज कर रही है, उन्होंने भी अपना फॉर्म डाल दिया और टैलेंट हंट में चुनकर मुंबई आ गए। फिर दिग्गज एक्टर की किस्मत ऐसी पलटी की उन्होंने सालों साल हिंदी सिनेमा में राज किया।
एक्टर ने 1960 में आई अर्जुन हिंगोरानी की फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से फिल्मी सफर शुरू किया था, जो प्रेम कहानी थी। धर्मेंद्र ने एक्शन से लेकर कॉमेडी तक, दर्शकों का हर जॉनर में दिल जीता। धर्मेंद्र का फिल्मी करियर एक ऐसा एल्बम है, जिसका हर पन्ना बेहद खूबसूरत और संघर्ष से भरा है। 1970 के दशक में वे 'एक्शन हीरो' के रूप में ऐसे फेमस हुए की लोगों ने उन्हें ही मैन नाम दिया। 1975 में रिलीज हुई 'शोले' धर्मेंद्र के लिए रील और रियल दोनों लाइफ में लकी साबित हुई। वीरू के किरदार में उनका वो डायलॉग 'बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना' आज भी लोगों की जुबान पर रहता है। वहीं इस फिल्म से ही उन्हें उनकी बंसती हमेशा के लिए मिल गई थी।
साल 1972 में रिलीज हुई 'सीता और गीता', में वह डबल रोल में दिखे। हेमा मालिनी के साथ अपनी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री से दर्शकों के दिलों पर राज करने लगे। ये फिल्म न सिर्फ हिट हुई, बल्कि धर्मेंद्र को 'डबल रोल किंग' भी साबित कर दिया । कॉमेडी में उनकी 'चुपके चुपके' (1975) लोगों को खूब पसंद आई। अमिताभ, जया बच्चन और शर्मिला टैगोर के साथ उनकी शानदार जुगलबंदी आज भी लोगों को हंसा देती है। 'राम बलराम' (1976) जैसी फिल्मों से वे आम आदमी के के चहेते बन गए। 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले धर्मेंद्र ने हर किरदार से लोगों का दिल जीता।
सम्मान की बात करें तो धर्मेंद्र को 2012 में पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया था। इसके अलावा उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया जा चुका है। धर्मेंद्र की जिंदगी फिल्मों से परे भी काफी शानदार रही है। 89 साल की उम्र में भई वह फिल्मी दुनिया में सक्रिय रहे हैं। अभी दिवंगत एक्टर की दो फिल्में रिलीज होनी बाकी है। फिल्म इक्कीस के अलावा धर्मेंद्र मैंने प्यार किया फिर से और अपने के सीक्वल अपने 2 में भी नजर आएंगे। पिछली फिल्मों की बात करें तो 2024 में एक्टर तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया में शाहिद और कृति स्टारर में दिखे थे।