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Param Sundari Movie Reviews: मोहब्बत की वो कहानी जो सीधा दिल को छूती है, जानें फिल्म पैसा वसूल या फिजूल?

Param Sundari Movie Reviews: परम सुंदरी सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी हैं। ये रोम कोम फिल्म दर्शकों का दिल कितना जीत पाती हैं, ये देखने वाली होगी। तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसी है  सिद्धार्थ मल्होत्रा, जान्हवी कपूर स्टारर परम सुंदरी।

अपडेटेड Aug 29, 2025 पर 11:52 AM
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मोहब्बत की वो कहानी जो दिल को छूती है

फिल्म- परम सुंदरी

रेटिंग – 3.5 स्टार्स

निर्देशक तुषार जलोटा

कलाकार सिद्धार्थ मल्होत्रा, जान्हवी कपूर, रेंजी पणिक्कर, सिद्धार्थ शंकर, मंजीत सिंह, संजय कपूर, इनायत वर्मा

समय अवधि – 136 मिनट


Param Sundari Movie Reviews: कुछ रोमांटिक फिल्में होती हैं जो भारी-भरकम डायलॉग और गहरे इमोशन्स से आपके दिल को भारी कर देती हैं। लेकिन कुछ कहानियां होती हैं जो बिल्कुल रेशमी हवा की तरह होती हैं-हल्की, प्यारी और बिना ज़्यादा शोर के आपके दिल में जगह बना जाती हैं। परम सुंदरी उसी दूसरी तरह की फिल्म है-एक शांत, खूबसूरत और दिल को छू जाने वाली प्रेम कहानी, जो आपको मुस्कुराते हुए थिएटर से बाहर भेजती है।

परम (सिद्धार्थ मल्होत्रा) दिल्ली का एक अमीर और थोड़ा बिगड़ा हुआ लड़का है, जिसे स्टार्टअप्स में पैसा लगाना कुछ ज़्यादा ही पसंद है। लेकिन अब तक उसके सारे स्टार्टअप्स बुरी तरह फेल हो चुके हैं, और उसके पिता (संजय कपूर) अब थक चुके हैं उसके बेफिजूल के आइडियाज़ से।

लेकिन परम की जिद फिर से सिर उठाती है -इस बार उसका आइडिया है एक ऐसी ऐप जो लोगों का "सोलमेट" ढूंढती है उनके प्रोफाइल और बिहेवियर पैटर्न्स के हिसाब से। उसके पिता आखिरी बार एक शर्त पर पैसा देने को तैयार होते हैं - अगर परम खुद उस ऐप के ज़रिए अपनी सोलमेट ढूंढे और साबित करे कि ये ऐप वाकई काम करती है।

बस फिर क्या, ऐप की मैचिंग सिस्टम के ज़रिए परम को केरल की एक लड़की सुंदरी (जान्हवी कपूर) से मैच मिलता है। सुंदरी एक सादगी भरी, मजबूत सोच वाली और अपने संस्कारों से जुड़ी लड़की है। परम खुद केरल जाता है, उसे जानने, समझने और यह तय करने के लिए कि क्या वाकई ये ऐप ‘दिल की बात’ समझ सकती है।

सिद्धार्थ और जान्हवी की जोड़ी पर्दे पर बिल्कुल फ्रेश लगती है।सिद्धार्थ मल्होत्रा का कैज़ुअल एटीट्यूड, हल्का फुल्का ह्यूमर और इमोशनल सीन्स में सच्चाई -सब कुछ बड़े संतुलन में है। वहीं जान्हवी कपूर का किरदार बेहद ग्रेसफुल है। वो ना तो दिखावे वाली है, ना ही ओवरड्रामैटिक -बल्कि एक ठहराव है उनके अभिनय में, जो कहानी को गहराई देता है।

उनकी केमिस्ट्री धीरे-धीरे बनती है। पहली मुलाकात में अजनबीपन, फिर कुछ अनकहे इशारे, और फिर वो नज़दीकियां जो बगैर बोले सब कह देती हैं. संजय कपूर ने पिता के रोल में बहुत मज़ा दिया है। उनके डायलॉग्स में व्यंग्य भी है और प्यार भी।मंजोत सिंह हमेशा की तरह कॉमेडी का डोज़ ले आते हैं।इनायत वर्मा की मासूम अदाएं आपको हँसा भी देती हैं और दिल भी जीत लेती हैं।रेंजी पनिक्कर और सिद्धार्थ शंकर ने सुंदरी के परिवार को गरिमामयी अंदाज़ में पेश किया है।

निर्देशक तुषार जलोटा ने फिल्म को बिना किसी मेलोड्रामा के एक सादा लेकिन असरदार टोन में पेश किया है। फिल्म की गति संतुलित है-कहीं भी बोरियत महसूस नहीं होती। फिल्म की दो दुनिया -दिल्ली की चकाचौंध और केरल की हरियाली - एक-दूसरे के विपरीत होते हुए भी कहानी में खूबसूरती से गूंथी गई हैं। केरल की नदियाँ, मंदिर, घर और लोकल टोन-सब कुछ असली लगता है, जैसे हम भी वहां मौजूद हों।

परम के स्टाइलिश आउटफिट्स और दिल्ली का मेट्रो लाइफस्टाइल उसकी शख्सियत को साफ बयां करता है, वहीं सुंदरी की साड़ियाँ, उनका सिंपल लाइफ और शांत व्यवहार, केरल की मिट्टी से उनका रिश्ता दिखाता है।

फिल्म के गाने कहानी को आगे बढ़ाते हैं, थोपे हुए नहीं लगते। फिल्म के रिलीज़ से पहले ही फिल्म के गानों ने ऑडियंस के दिलों में अपनी जगह बना ली थी। "पर्देसिया" "भीगी साड़ी" "चांद कागज़ का" और "सुन मेरे यार वे" सभी गाने बेहद अच्छे हैं। "सुंदरी के प्यार में" पहले से ही चार्टबस्टर बन चुका है।गानों की मेलोडी और लिरिक्स दोनों दिल को छूते हैं, और फिल्म का मूड सेट करते हैं।

जब आज की दुनिया में हर चीज़ ऐप से चल रही है, ये फिल्म बड़ी मासूमियत से कहती है कि प्यार अब भी इंसानी एहसास है, न कि कोई डिजिटल अल्गोरिद्म। यह फिल्म उन लोगों के लिए है जो ये मानते हैं कि सच्चा रिश्ता वो होता है, जो धीरे-धीरे, वक्त के साथ बनता है -जिसमें परफेक्ट होना ज़रूरी नहीं, बल्कि सच्चा होना ज़रूरी है।

दिनेश विजान द्वारा निर्मित और मैडॉक फिल्म्स के बैनर तले बनी परम सुंदरी एक सादगी भरी, भावनात्मक और ताज़गी से भरपूर फिल्म है। यह फिल्म किसी गहरे मैसेज या भारी कहानी का बोझ नहीं उठाती, बल्कि वो एहसास देती है जो कई बार हमारी तेज़-तर्रार ज़िंदगी में खो जाते हैं- जुड़ाव, भरोसा और बिना कहे प्यार कर पाने की क्षमता। इस वीकेंड अपने पूरे परिवार के साथ जाए और एन्जॉय करें यह प्यारी सी फिल्म।

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