हरियाणा ने नए प्रिवेंशन ऑफ पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 2025 को नोटिफाई कर दिया है। यह 21 मई से लागू होगा। यह एक्ट राज्य के बजट सत्र के दौरान पास हुआ था। राज्य में अब नए सट्टेबाजी और गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए कुछ मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इसकी वजह है कि नए एक्ट का उद्देश्य खेल या चुनाव में सट्टेबाजी, मैच फिक्सिंग या खेल में स्पॉट फिक्सिंग सहित सार्वजनिक जुए पर अंकुश लगाना है। हरियाणा सरकार का नया कदम राज्य में प्रोबो, स्पोर्ट्सबाजी और एमपीएल ओपिनियो जैसे ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए नई चुनौती बन सकता है। हालांकि ओपिनियन ट्रेडिंग ऐप्स इसके दायरे में आएंगे या नहीं, इसे लेकर भी अभी क्लैरिटी नहीं है।
मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा सरकार की ओर से गैजेट नोटिफिकेशन पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) डाले जाने के बाद आया है। इस याचिका में ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के रूप में काम करने वाले ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफार्म्स के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की गई थी। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए थे।
एमपीएल ओपिनियो ने हरियाणा में बंद किए ऑपरेशंस
रिपोर्ट के मुताबिक, एमपीएल ओपिनियो ने इस सप्ताह की शुरुआत में हरियाणा में ऑपरेशंस बंद कर दिए। हालांकि, प्रोबो जैसे अन्य ओपिनियन ट्रेडिंग ऐप चालू हैं। गेमिंग से जुड़े ओपिनियन ट्रेडिंग ऐप्स पर आप किसी खेल को लेकर आगे की घटनाओं या गतिविधि को लेकर अनुमान लगा सकते हैं और सही होने पर पैसे कमा सकते हैं। लेकिन ऐसे ऐप्स में पैसे डूबने का खतरा भी रहता है।
हरियाणा के अधिनियम में सट्टेबाजी को मोटे तौर पर पार्टीज के बीच मौखिक, लिखित या निहित, किसी भी तरह के समझौते के रूप में परिभाषित किया गया है। एक ऐसा समझौता जो अनिश्चित घटनाओं के नतीजों पर बेस्ड है और जहां भविष्यवाणियां असफल होने पर वित्तीय या भौतिक नुकसान होता है। एक्ट में विशेष रूप से खेलों में मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। न्यूनतम 3 वर्ष की सजा है, जिसे बढ़ाकर 5 वर्ष किया जा सकता है। साथ ही जुर्माना भी है, जो कि 5 लाख रुपये से शुरू है। इतना ही नहीं बार-बार अपराध करने वालों को 7 साल तक की जेल हो सकती है।
लेकिन इस एक्ट के चलते अब कुछ अनिश्चतता भी पैदा हो गई है। प्रिवेंशन ऑफ पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 2025 में 'स्किल्स वाले गेम्स' को छूट दी गई है, लेकिन यह 'चांस वाले गेम्स' को बैन करता है। ऐसे में यह कैसे तय होगा कि कौन सा गेम बैन के दायरे में आएगा और कौन सा नहीं। माना जा रहा है कि यह केस-दर-केस आकलन और छूट के लिए संभावित आवेदनों पर निर्भर करेगा।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट भी जारी कर चुका है ऐसा ही निर्देश
इससे पहले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने भी हरियाणा के जैसा ही निर्देश जारी किया था, जिसमें राज्य के अंदर ऐसे प्लेटफार्म्स को जियो-ब्लॉकिंग अनिवार्य कर दी गई थी। प्रोबो जैसे प्लेटफॉर्म्स में निवेशकों ने बड़ी दिलचस्पी दिखाई है। प्रोबो ने पीक XV पार्टनर्स, एलिवेशन कैपिटल और द फंडामेंटम पार्टनरशिप से निवेश हासिल किया है।