2014 में पहली बार काशी में अपना नामांकन भरने काशी पहुंचे नरेंद्र मोदी ने कहा था- "ना मैं यहां आया हूं और ना मुझे किसी ने भेजा है। मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है।" काशी को पीएम मोदी का लोकसभा क्षेत्र बने 11 साल बीत गए हैं और काशी से उनका ऐसा नाता जुड़ गया है मानो एक बेटे के साथ मां का रिश्ता। कौन भूल सकता है दिसंबर 2021 की वो सुबह जब पीएम मोदी वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए पहुंचे थे। सुबह की ठंड में उन्होंने ललिता घाट पर गंगा में डुबकी लगाकर बाबा भोलेनाथ पर गंगाजल चढ़ाया था। अब देश दुनिया को लगने लगा है कि काशी विश्वनाथ धाम देश की गरिमा के अनुरूप भारतीय सभ्यता और संस्कृति की एक भव्य झांकी बन के खड़ा हो गया है।
दिव्य काशी और भव्य काशी के अपने सपने को पीएम मोदी ने साकार कर दिखाया है। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर और अन्य क्षेत्र के निर्माण पर 963 करोड़ खर्च हुए, तो पावन पथ (101 मंदिर) के निर्माण कार्य के तहत पर्यटन विकास पर 24.4 करोड़ खर्च किए गए। ये 10 सर्किट यात्राओं के अंतर्गत आता है। उधर पंचकोशी परिक्रमा पथ के निर्माण, काल भैरव मंदिर, संत रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण में भी पूरी ताकत झोंक दी गई है। अब आलम ये है कि काशी के घाट चमकने लगे हैं। श्रद्धालुओं की संख्या तो बढ़ ही रही है, लेकिन साथ ही पर्यटन भी इतना बढ़ता जा रहा है कि अब काशी से हुई आमदनी उत्तर प्रदेश की GDP में भी योगदान देने लगी है।
एक अनुमान के मुताबिक, काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर से यूपी की अर्थव्यवस्था को एक बड़ा बूस्ट मिला, जहां से कुल 1.25 लाख करोड़ रुपए जमा हुए हैं। दिसंबर 2021- सितंबर 2025 तक के साढ़े तीन साल के अंतराल में 25.28 करोड़ श्रद्धालु काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे। इतनी भारी संख्या में लोगों के काशी आने से पुजारियों, नाव चलाने वालों, होटल के धंधे में लगे लोगों, वेंडर और रेहड़ी पटरी वालों के लिए रोजगार के जबरदस्त अवसर पैदा हुए हैं। 2024-25 के उत्तर प्रदेश के सालाना बजट के संभावित आंकड़ों के मुताबिक, इस वित्तीय वर्ष में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का योगदान 24.39 लाख करोड़ है, जो कि कुल आमदनी का 5.1 फीसदी है।
अब चाहे नर्मदा हो या फिर साबरमती, पीएम मोदी की घाटों को जिंदा करने की पहल ने देश भर में लोगों में इतनी जागरूकता ला दी है कि अब सिर्फ सरकार ही नहीं, स्थानीय लोग, स्वयंसेवी संस्थाएं ही घाटों, मंदिरों के जीर्णोद्धार में लग गई हैं। इस बहाने स्वच्छ भारत अभियान के साथ-साथ पर्यटन तेजी से बढ़ने लगा है। जाहिर है स्थानीय अर्थव्यवस्था को इससे गति मिल रही है और आम आदमी के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ते जा रहे हैं।