पीएम मोदी ने जोहान्सबर्ग में शनिवार को G20 समिट में अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी सभ्यता से जुड़ी मूल्यों के आधार पर दुनिया के विकास को नया रास्ता दिखाना चाहता है, और इसी उद्देश्य से कई पहलें सामने रखीं। ‘सबको साथ लेकर चलने वाली और पर्यावरण के अनुकूल आर्थिक विकास’ पर केंद्रित सत्र को संबोधित करते हुए PM मोदी ने ग्लोबल डेवलपमेंट के पैमानों को दोबारा सोचने की जरूरत बताई।
उन्होंने कहा कि G20 ने कई सालों से दुनिया की फाइनेंशियल और आर्थिक दिशा तय की है, लेकिन मौजूदा मॉडल ने बड़ी आबादी को संसाधनों से दूर कर दिया है और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग को बढ़ावा दिया है। यह समस्या अफ्रीकी देशों में और भी ज़्यादा महसूस की जा रही है। उन्होंने कहा, “अफ्रीका पहली बार G20 समिट की मेजबानी कर रहा है, इसलिए यह सही समय है कि हम अपने विकास के पैमानों पर फिर से विचार करें। हमें ऐसी ग्रोथ पर ध्यान देना चाहिए जो सभी को साथ लेकर चले और टिकाऊ भी हो। भारत के सभ्यता से जुड़े मूल्य, खासकर ‘इंटीग्रल ह्यूमनिज़्म’ का सिद्धांत, दुनिया को आगे बढ़ने का मार्ग दिखा सकता है।”
PM मोदी ने फेंटानिल का मुद्दा उठाया
प्रधानमंत्री मोदी ने फेंटानिल जैसी खतरनाक सिंथेटिक ड्रग्स के बढ़ते खतरे पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ये ड्रग्स पब्लिक हेल्थ, समाज की स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा—तीनों पर बड़ा असर डाल रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने G20 में एक खास पहल का सुझाव दिया, जिसका उद्देश्य ड्रग तस्करी और ड्रग से जुड़े आतंक के नेटवर्क को रोकने के लिए वित्तीय, प्रशासनिक और सुरक्षा उपकरणों को एक साथ लाना है।
यह प्रस्ताव ड्रग तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने, गैर-कानूनी पैसों के प्रवाह को रोकने और आतंकवाद को मिलने वाली फंडिंग के एक बड़े स्रोत को कमजोर करने में मदद करेगा। मोदी ने X पर लिखा, “आइए, हम इस खतरनाक ड्रग-टेरर इकॉनमी को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाएं!”
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देश आज भी ऐसे तरीके अपनाते हैं जो प्रकृति के संतुलन, समृद्ध संस्कृति और सामाजिक एकजुटता को बनाए रखते हैं। इसी सोच के साथ उन्होंने G20 के तहत एक ग्लोबल ट्रेडिशनल नॉलेज रिपॉजिटरी बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, “इस दिशा में भारत का अनुभव काफी मजबूत रहा है। यह हमें बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए अपनी साझा पारंपरिक समझ को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।” यह रिपॉजिटरी दुनिया भर के पारंपरिक ज्ञान को एक जगह इकट्ठा करेगी और साझा करेगी, जिसमें सस्टेनेबल और संतुलित जीवन के ऐसे तरीके शामिल होंगे जो समय के साथ साबित और परखे जा चुके हैं।