भुवन भास्कर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के बजट 2021-22 को एक शब्द में साहसी कहा जा सकता है। साल 2020-21 के लिए सीतारमन ने 30.42 लाख करोड़ रुपये व्यय का बजट पेश किया था। लेकिन कोरोना के लॉकडाउन के बाद सरकार ने मांग को बढ़ाने के लिए 5 चरणों में जिन राहत पैकेज की घोषणा की, उसके बाद यह खर्च बढ़कर 34.50 लाख करोड़ हो गया। वित्त मंत्री ने सरकार के वित्तीय अनुशासन कायम रखने के पक्ष में पूंजीगत व्यय का आंकड़ा प्रस्तुत किया, जिसके मुताबिक मूल रूप से तय 4.12 लाख करोड़ रुपये का संशोधित बजट 4.39 लाख करोड़ रुपये रहा। सीधे शब्दों में कहें तो सरकार के खर्च में जो 3.92 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई, उसमें पूंजीगत व्यव की हिस्सेदारी मात्र 27,000 करोड़ रुपये थी। परिणाम हुआ है 9.5% के वित्तीय घाटे के रूप में। लेकिन साहसिक यह है कि वित्त मंत्री ने इस वित्तीय स्खलन के बावजूद चाहे जीडीपी ग्रोथ का मोर्चा हो, या फिर सामाजिक सुरक्षा का, अपने खर्च पर किसी तरह का ब्रेक नहीं लगाया है।

अगले वित्त वर्ष के लिए पेश बजट में एक ओर जहां पूंजीगत व्यव के लिए बजट प्रावधान चालू साल के मुकाबले 34.5% बढ़ोतरी कर 5.54 लाख करोड़ रुपये किया गया है, वहीं कोरोना के परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ्य क्षेत्र पर होने वाले खर्च को चालू साल के 94,000 करोड़ रुपये से 127% बढ़ाकर 2.23 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। लब्बोलुआब यह है कि 2021-22 के लिए सरकार ने 34.83 लाख करोड़ रुपये के साथ अपने खर्चे को लगभग इसी बढ़े स्तर पर बरकरार रखा है। इस लिहाज से 2021-22 में वित्तीय घाटे के लिए 6.8% का और 2025-26 में 4.5% का लक्ष्य रखना अपने आप में एक साहसिक कदम है। वित्त मंत्री ने नई परिस्थितियों में फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी और बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) के रीकैलिबरेशन के साथ ही इस बात की भी पूरी कोशिश की है कि आय-व्यय का लेखा-जोखा महज बजटीय कवायद ही न रह जाए। इसके लिए सीतारमन ने बजट में ऐसी कई घोषणाएं की हैं, जो वित्तीय अनुशासन और प्रबंधन के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाते हैं।

चालू साल में सरकार ने 7,96,337 करोड़ रुपये के घाटे का बजट पेश किया था, जिसमें से 5,35,870 करोड़ रुपये बाजार से कर्ज के रूप में पूरा किया जाना था और बाकी सरकार आंतरिक स्रोतों से जुटाने वाली थी। लेकिन अर्थव्यवस्था को कोविड-19 से लगे झटके से उबारने के लिए सरकार ने जो खर्च किया उससे सरकार का बजट घाटा 2020-21 के दौरान बढ़ाकर 18,48,655 करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है। इसमें आर्थिक गतिविधियों को लगे झटके का योगदान भी कम नहीं था, जिसके कारण बजट में अनुमानित 24,23,020 करोड़ रुपये की टैक्स आय घटकर 19,00,280 करोड़ रहने की संभावना हो गई है। यानी आमदनी में 5 लाख करोड़ रुपये की कमी और खर्चा बढ़ गया 4 लाख करोड़ रुपये। जाहिर है घाटा बढ़ कर करीब 9.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसमें से करीब 8 लाख करोड़ रुपये सरकार ने कर्ज बढ़ाकर (54,000 करोड़ रुपये विदेश से) पूरे किए।

स्पष्ट है कि बजट बनाते समय वित्त मंत्री पर अभूतपूर्व दबाव रहा होगा। इसलिए जब वित्त मंत्री ने अगले वित्त वर्ष के लिए 34.83 करोड़ रुपये के खर्च पर 6.8% यानी 15,06,812 करोड़ रुपये के वित्तीय घाटे का लक्ष्य रखा है, तब स्वाभाविक सवाल यह उठता है कि सरकार इसे पूरा कैसे करेगी? इस घाटे का लगभग 76% यानी 9,67,708 करोड़ रुपये सरकार बाजार से कर्ज लेगी और करीब 4 लाख करोड़ रुपये छोटे बचत पर जारी किए गये सिक्योरिटीज से जुटाएगी। यह बात महत्वपूर्ण है कि जब सरकार 2021-22 में 11% की ग्रोथ रेट का अनुमान जता रही है, उस वक्त भी कुल टैक्स आमदनी 22,17,059 करोड़ रुपये ही रहने का अनुमान जताया गया है। यानी चालू वित्त वर्ष के मूल अनुमान से 2 लाख करोड़ रुपये कम। सरकार 1.75 लाख करोड़ रुपये विनिवेश से हासिल करना चाहती है, जिसके तहत भारतीय जीवन बीमा (एलआईसी) के आईपीओ भी शामिल है। इसी साल सरकार का बीपीसीएल, एयर इंडिया, पवन हंस, आईडीबीआई बैंक और कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में रणीतिक हिस्सेदारी बेचने की योजना भी पूरी करने का इरादा है।

हालांकि इन सबके बीच वित्त मंत्री ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है उनकी बड़ी घोषणाओं को फंड की कमी के कारण ग्रहण न लग जाए। इसीलिए एक ओर जहां 1.97 लाख करोड़ रुपये खर्च करने के लिए कई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजनाएं लाने की घोषणा की गई है, वहीं भारतीय मैन्युफैक्चरिंग में वैश्विक खिलाड़ियों को आकर्षित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग स्कीम में अलग से 40,951 करोड़ रुपये की पीएलआई लाई जाएगी। कुल मिलाकर वित्त मंत्री को उनके इस साहस के लिए पूरे नंबर दिए जा सकते हैं कि अत्यंत कठिन आर्थिक परिस्थितियों में भी उन्होंने विकास पर केंद्रित बजट लाने का अपना वादा पूरा किया है और घोषणाएं करते वक्त यह ध्यान रखा है कि अगले साल उनकी चेक लिस्ट में अधिकतम टिक लगे हों।

लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं

सोशल मीडिया अपडेट्स के लिए हमें Facebook (https://www.facebook.com/moneycontrolhindi/) और Twitter (https://twitter.com/MoneycontrolH) पर फॉलो करें।