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एल्युमीनियम वायदा कीमतों में गिरावट, मांग घटने का भाव पर हुआ असर

एल्युमीनियम वायदा कीमतों में आई गिरावट मुख्य रूप से उपभोक्ता उद्योगों की कमजोर मांग और हाजिर बाजार की नरमी के कारण देखी गई। वैश्विक बाजार की स्थिति, घरेलू आर्थिक गतिविधियों और ट्रेडर्स की सतर्कता ने भी इसमें भूमिका निभाई

अपडेटेड Jul 09, 2025 पर 4:46 PM
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कम मांग के कारण एल्युमीनियम वायदा कीमतें क्यों गिर रही हैं

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर 9 जुलाई 2025 को एल्युमीनियम वायदा कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। जुलाई डिलीवरी वाले कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 70 पैसे या 0.28% घटकर 248 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। इस दौरान कुल 3,605 लॉट में कारोबार हुआ। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यह गिरावट मुख्य रूप से उपभोक्ता उद्योगों की कमजोर मांग और हाजिर बाजार में नरमी के कारण आई है।

मांग में सुस्ती का असर

एल्युमीनियम का उपयोग ऑटोमोबाइल, निर्माण, पैकेजिंग, इलेक्ट्रिकल और अन्य कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर होता है। हाल के हफ्तों में इन क्षेत्रों से मांग में कमी देखी गई है। आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती, मानसून सीजन के कारण निर्माण क्षेत्र में ठहराव, और वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता जैसे कारणों से उपभोक्ता उद्योगों ने अपने ऑर्डर कम कर दिए हैं। इससे ट्रेडर्स ने अपने सौदों का आकार घटाया और वायदा बाजार में बिकवाली बढ़ गई।


हाजिर बाजार का रुख

हाजिर बाजार में भी एल्युमीनियम की कीमतों में कमजोरी देखी गई, जिससे वायदा बाजार पर दबाव बना। आमतौर पर जब हाजिर बाजार में मांग कमजोर होती है, तो ट्रेडर्स वायदा सौदों में सतर्कता बरतते हैं और अपनी पोजिशन कम कर देते हैं। इससे कीमतों में गिरावट आना स्वाभाविक है।

वैश्विक बाजार का प्रभाव

वैश्विक स्तर पर भी एल्युमीनियम की कीमतों में हल्की गिरावट देखी गई है। 8 जुलाई 2025 को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एल्युमीनियम की कीमत 2,594.55 अमेरिकी डॉलर प्रति टन थी, जो 9 जुलाई को घटकर 2,581.85 डॉलर प्रति टन हो गई, यानी 0.49% की गिरावट। हालांकि, पिछले एक महीने में एल्युमीनियम की कीमतों में लगभग 3.6% की बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन हालिया गिरावट ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया है।

घरेलू बाजार की स्थिति

भारत में MCX पर एल्युमीनियम की कीमत 252 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी, लेकिन मांग में कमी और बिकवाली के दबाव के चलते इसमें गिरावट आई। पिछले दिनों कुछ तेजी जरूर देखी गई थी, लेकिन उपभोक्ता उद्योगों की सुस्ती ने बाजार को नीचे खींच लिया।

एल्युमीनियम के निवेश पर विश्लेषकों की राय

विश्लेषकों का मानना है कि जब तक उपभोक्ता उद्योगों की मांग में सुधार नहीं होता, तब तक एल्युमीनियम की कीमतों में स्थिरता आना मुश्किल है। साथ ही, वैश्विक बाजारों में भी भू-राजनीतिक घटनाओं, डॉलर की स्थिति और सप्लाई चेन की स्थिति का असर भारतीय वायदा बाजार पर पड़ता है। फिलहाल, ट्रेडर्स सतर्कता बरत रहे हैं और छोटे सौदों के साथ काम कर रहे हैं।

एल्युमीनियम की कीमतों में कब आएगी तेजी

हालांकि, दीर्घकालिक नजरिए से देखें तो विश्लेषकों का मानना है कि एल्युमीनियम की मांग में धीरे-धीरे सुधार आ सकता है। ऑटोमोबाइल, इंफ्रास्ट्रक्चर और पैकेजिंग सेक्टर में संभावनाएं बनी हुई हैं। लेकिन अल्पकालिक दबाव के चलते कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।

एल्युमीनियम वायदा कीमतों में आई गिरावट मुख्य रूप से उपभोक्ता उद्योगों की कमजोर मांग और हाजिर बाजार की नरमी के कारण देखी गई। वैश्विक बाजार की स्थिति, घरेलू आर्थिक गतिविधियों और ट्रेडर्स की सतर्कता ने भी इसमें भूमिका निभाई। आने वाले दिनों में बाजार की दिशा काफी हद तक मांग में सुधार और वैश्विक संकेतकों पर निर्भर करेगी।

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