ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की तरफ से किए गए एक नए रिसर्च से पता चला है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजैनेका (Oxford-AstraZeneca) की कोरोना वैक्सीन का केवल एक डोज ही वायरस ट्रांसमिशन (Virus Transmission) को 67 फीसदी तक कम कर देता है। वहीं, यह वैक्सीन वायरस को फैलने से रोकने में भी बड़ी भूमिका निभा रही है। बता दें कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को पहली बार दिसंबर 2020 में यूनाइटेड किंगडम द्वारा मंजूरी दी गई थी।
ब्रिटेन (United Kingdom) के बाद भारत सरकार ने भी कोरोना वायरस (Corona Virus) से लड़ने के लिए Oxford-Astrazeneca की वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल (Emergency use Authorisation) के लिए अनुमति दी थी। फिलहाल, देश में कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम (Vaccination in India) शुरू हो चुका है और अब तक लाखों लोगों को वैक्सीन लगाया जा चुका है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से दी गई इस जानकारी बताया गया है कि डेटा दिखाता है कि आबादी में संक्रमितों की संख्या कम कर वैक्सीन वायरस के फैलने पर असर डाल सकती है। द लैंसेट (The Lancet) में प्रकाशित होने के लिए रिसर्च की समीक्षा की जा रही है। रिसर्च में यह भी बताया गया है कि दो डोज के बीच 3 महीनों का गैप भी असरदार साबित हुआ है। वैक्सीन का एक डोज से भी 22 से 90 दिनों के बीच 76 फीसदी तक प्रभावकारिता देखी गई है।
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा है कि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के बारे में यह खबर बहुत अच्छी है। ट्रांसमिशन में दो-तिहाई तक कमी, डोज में 12 हफ्तों के फर्क से बेहतरीन सुरक्षा और अस्पताल में भर्ती न होने की बात। यह वैक्सीन काम कर रही और अच्छा काम कर रही है। चीफ इनवेस्टिगेटर और ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ट्रायल के सह लेखक प्रोफेसर एंड्र्यू पोलार्ड (Professor Andrew Pollard) ने कहा कि यह नया उस अंतरिम डेटा का जरूरी सत्यापन देता है, जिसका इस्तेमाल MHRA और EMA समेत 25 से ज्यादा रेग्युलेटर्स ने वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति के लिए किया था।
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