अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में शनिवार को राष्ट्रव्यापी वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत होने पर अस्पताल के एक सफाईकर्मी मनीष कुमार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन की उपस्थिति में कोरोना का पहला वैक्सीन लगाया गया। इसके साथ ही मनीष देश की राजधानी में वैक्सीन लगवाने वाले पहले शख्स बन गए। एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया को भी वैक्सीन लगाया गया। इस दौरान वहां उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर उनकी सराहना की। इसके बाद नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने भी वैक्सीन लगवाया।
फिर अस्पताल के डॉक्टर, नर्स व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन लगाए गए। इस अवसर पर वहां मौजूद स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि दोनो वैक्सीन, भारत बायोटेक का स्वदेश में निर्मित कोवैक्सीन और ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका का कोविशील्ड इस कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक संजीवनी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय शनिवार शाम को एक प्रेस कॉन्फेंस में बताया कि वैक्सीनेशन अभियान का पहला दिन सफल रहा। अब तक वैक्सीनेशन के बाद अस्पताल में भर्ती होने का कोई मामला सामने नहीं आया है।
मंत्रालय के मुताबिक, शनिवार शाम 5:30 बजे तक पूरे देश में 1,65,714 लोगों को कोरोना वायरस वैक्सीन का वैक्सीन लगाया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि आज देश में 3,351 सत्र में वैक्सीनेशन का कार्यक्रम किया गया। वैक्सीनेशन ड्राइव में 2 तरह के वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। COVISHIELD सभी राज्यों को दिया गया है। जबकि COVAXIN को 12 राज्यों को दिया गया है।
CoWIN ऐप की वजह से स्वास्थ्यकर्मी हुए परेशान
इस बीच, कोरोना वैक्सीनेशन अभियान के पहले दिन कुछ राज्यों में CoWIN (Covid Vaccine Intelligence Network) ऐप की धीमी रफ्तार की वजह से स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके अलावा कई राज्यों में वैक्सीनेशन में भी बाधा उत्पन्न हुई। बता दें कि कोविन (CoWIN) ऐप आज शुरू हुई वैक्सीनेशन ड्राइव का अभिन्न अंग है। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि कोविन ऐप का प्राथमिक उद्देश्य कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम का ट्रैक रखने में एजेंसियों की मदद करना है। साथ ही इस ऐप के जरिए वैक्सीन लेने के लिए लोग अपना आवेदन भी कर सकेंगे।
शनिवार सुबह से ही हेल्थ केयर वर्करों की वैक्सीनेशन को लेकर भारत सरकार के कोविन एप्लिकेशन पर डेटा अपलोड किया जा रहा था, लेकिन पोर्टल सही तरह से चल नहीं रहा था। अगर बीच-बीच में पोर्टल चलता भी था तो स्पीड बहुत धीमी थी। इस वजह से पोर्टल पर हेल्थकेयर कर्मियों का डेटा अपलोड करने में काफी दिक्कतें आईं। पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य कर्मचारियों को डेटा अपलोड करने में काफी परेशानी हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐप को कथित तौर पर धीमा कर दिया गया है।
एक अधिकारी ने बताया कि सभी स्वास्थ्य कर्मियों को शनिवार की सुबह वैक्सीनेशन के बारे में मैसेज भी नहीं आया, जिसके बाद उन्हें फोन पर सूचना दी गई। इसके अलावा महाराष्ट्र के ठाणे जिले में भी वैक्सीनेशन के दौरान वेबसाइट के कनेक्शन और मैसेज को लेकर कुछ परेशानियां सामने आई, जिसके बाद वैक्सीनेशन अभियान भी प्रभावित हुई। इसके अलावा तमिलनाडु के नीलगिरी में भी स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि ऐप काफी धीमी गति से काम कर रहा था। अधिकारियों के मुताबिक, पोर्टल की स्पीड स्लो होने की वजह से अलग-अलग अस्पतालों से आने वाला डाटा वे पोर्टल में फीड नहीं कर पा रहे थे।
गुजरात में भी कई सेंटरों पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता ऐप की वजह से वैक्सीन नहीं लगवा पाए। इसके अलावा कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों से भी सर्वर क्रैश के कारण समस्याओं की सूचना आई। बता दें कि सरकार की योजना इस अभियान में 30 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना की वैक्सीन देने की है। इसके पहले चरण में करीब तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी।
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