चालू कारोबारी साल में 7 फीसदी GDP ग्रोथ हासिल करना चुनौतीपूर्ण दिख रहा है। CNBC आवाज को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक कंपनियों की दूसरी तिमाही के नतीजे ने वित्त मंत्रालय की चिंता बढ़ा दी है। पूरी खबर बताते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के लक्ष्मण रॉय ने बताया कि सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार को वित्त वर्ष 2025 में 7 फीसदी GDP ग्रोथ हासिल करना चुनौतीपूर्ण लग रहा है। कंपनियों के दूसरी तिमाही के कमजोर नतीजों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
सूत्रों के मुताबिक प्राइवेट इन्वेस्टमेंट अनुमान से कम रहा है। शहरी इलाकों से घटती मांग ने सरकार चिंतित कर दिया है। एक्सपोर्ट में गिरावट में तुरंत बड़े सुधार की उम्मीद नहीं है। बता दें कि आर्थिक सर्वे में 6.5-7 फीसदी GDP का अनुमान जताया गया था। RBI ने 7.2 फीसदी GDP ग्रोथ का अनुमान दिया है।
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की ग्रोथ रेट 8.2 प्रतिशत रही। जिससे भारत की इकोनॉमी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख इकोनॉमी बन गई। वहीं, सितंबर में आए आंकड़ों से पता चलता कि अप्रैल-जून 2024-25 में ग्रोथ रेट घटकर 15 महीने के निचले स्तर 6.7 फीसदी पर आ गई, जिसका मुख्य कारण कृषि और सेवा क्षेत्रों का खराब प्रदर्शन रहा।
इससे पहले,अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया था। मूडीज रेटिंग्स ने भी कैलेंडर वर्ष 2024 के लिए भारत के जीडीपी विकास अनुमान को पहले के 6.8 फीसदी से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। लेकिन प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के अनुमान से कम रहने। शहरी इलाकों से घटती मांग और निर्यात में गिरावट ने सरकार के चिंतित कर दिया है।