Hacking Alert iPhone: सरकार विपक्षी दलों (opposition) के नेताओं को Apple की तरफ से पांच महीने पहले भेजे गए, हैकिंग अलर्ट (Hacking Alert) पर, अभी भी कंपनी की तरफ से साफ और सीधे जवाब का इंतजार कर रही है। Apple, iPhone बनाने वाली कंपनी है। Apple ने इस संदेश में विपक्षी नेताओं को आगाह किया था कि कथित तौर पर सरकार-समर्थित हैकर उनके फोन की हैकिंग के प्रयास कर रहे हैं। इस पर सरकार की तरफ से Apple से कुछ स्पष्टीकरण मांगा गया था।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने PTI के साथ बातचीत में कहा कि सरकार ने Apple से दो सवाल पूछे हैं। पहला सवाल उनके डिवाइस के सुरक्षित होने से जुड़े है, जबकि दूसरा सवाल विपक्षी सदस्यों को अलर्ट भेजने की वजह से जुड़ा है।
क्यों Apple के जवाब से संतुष्ट नहीं सरकार?
चंद्रशेखर ने कहा, "मेरी राय में यह ऐसी बात नहीं है, जिसे कोई भी प्लेटफॉर्म खांमिया होने पर भी पूरी तरह से स्वीकार करेगा। किसी भी प्लेटफॉर्म में इस बात से इनकार करने की प्रवृत्ति होती है कि उनके सुरक्षा कवच को भेदा जा सकता है।"
चंद्रशेखर ने कहा, "हम कंपनी से एक स्पष्ट सवाल पूछ रहे हैं कि क्या आपका फोन असुरक्षित है? इसका जवाब पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।"
अक्टूबर में विपक्षी दलों के कई नेताओं ने दावा किया था कि उन्हें Apple से एक अलर्ट मिला है, जिसमें राज्य-प्रायोजित हमलावरों की तरफ से उनके iPhone को दूर से ही नियंत्रित करने की कोशिश और सरकार की तरफ से कथित हैकिंग की चेतावनी दी गई।
इन नेताओं को आया हैकिंग अलर्ट
Apple की तरफ से यह अलर्ट पाने का दावा करने वाले नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी नेता शशि थरूर, पवन खेड़ा, के सी वेणुगोपाल, सुप्रिया श्रीनेत, टी एस सिंहदेव और भूपिंदर एस हुडा शामिल हैं।
इनके अलावा तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी हैकिंग अलर्ट मिलने की बात कही थी।
शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के कुछ सहयोगियों को भी इस तरह की जानकारी मिली थी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "जब ये आरोप लगाए गए थे, उसी दिन हमने स्पष्ट तौर पर कहा था कि इसका जवाब Apple को देना है क्योंकि इसमें उनका फोन शामिल है। हमारे पास यह समझने के लिए सरकार में शोध एवं विकास क्षमता नहीं है कि उसके ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस में क्या है और क्या नहीं है।"
इसके साथ ही चंद्रशेखर ने कहा कि कंप्यूटर सुरक्षा संबंधी घटनाओं के घटित होने पर प्रतिक्रिया देने के लिए गठित राष्ट्रीय नोडल एजेंसी सर्ट-इन (इंडियन कंप्यूटर एमरजेंसी रिस्पांस टीम) ने कंपनी को इस जांच में एक पक्ष बनाया है। इस संबंध में Apple को पक्ष रखने के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला।
इस बीच चंद्रशेखर ने इन आरोपों को नकार दिया कि सरकार किसी भी तरह से लोगों की गोपनीयता का उल्लंघन करने या भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करने की कोशिश कर रही है।