H-1B वीजा के बाद एक और झटका? अमेरिकी सांसदों ने भारत से झींगा एक्सपोर्ट पर टैरिफ लगाने का दिया प्रस्ताव

Trump Tariff: अमेरिका से भारत को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी की जा रही है। एच-1बी वीजा पर भारी भरकम फीस थोपने के फैसले के बाद अब अमेरिकी सीनेटरों ने भारत के झींगा (Shrimp) एक्सपोर्ट पर टैरिफ लगाने का प्रस्ताव पेश किया है। रिपब्लिकन सांसद बिल कैसिडी और सिंडी हाइड-स्मिथ ने "इंडिया श्रिम्प टैरिफ एक्ट (India Shrimp Tariff Act)" को अमेरिकी कांग्रेस में रखा है

अपडेटेड Sep 20, 2025 पर 11:05 PM
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Trump Tariff: रिपब्लिकन सांसदों का आरोप है कि भारतीय झींगा कंपनियां अमेरिका में डंपिंग कर रही हैं

Trump Tariff: अमेरिका से भारत को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी की जा रही है। एच-1बी वीजा पर भारी भरकम फीस थोपने के फैसले के बाद अब अमेरिकी सीनेटरों ने भारत के झींगा (Shrimp) एक्सपोर्ट पर टैरिफ लगाने का प्रस्ताव पेश किया है। रिपब्लिकन सीनेटर बिल कैसिडी और सिंडी हाइड-स्मिथ ने "इंडिया श्रिम्प टैरिफ एक्ट (India Shrimp Tariff Act)" को अमेरिकी कांग्रेस में रखा है।

सीनेटरों का आरोप है कि भारत अनुचित व्यापार प्रथाओं का सहारा लेकर अमेरिकी बाजार में झींगा एक्सपोर्ट कर रहा है। इससे लुइसियाना के झींगा और कैटफिश इंडस्ट्री को भारी नुकसान हो रहा है। कैसिडी ने कहा, “यह बिल हमारे सीफूड इंडस्ट्री और उससे जुड़े हजारों नौकरियों की रक्षा करेगा। भारतीय झींगा कंपनियां अमेरिका में डंपिंग कर रहे हैं जबकि हमारे स्थानीय उत्पादक कहीं अधिक ऊंचे मानकों पर काम कर रहे हैं।”

सीनेटर हाइड-स्मिथ ने भी चिंता जताते हुए कहा कि बेलगाम झींगा एक्सपोर्ट ने अमेरिकी झींगा इंडस्ट्री, प्रोसेसर्स और ग्राहकों पर बुरा असर डाला है। उनका कहना है कि यह कानून घरेलू इंडस्ट्री को बाजार में कॉम्पिटीशन के लिए एक “बराबरी का मैदान” मुहैया कराएगा।


इससे पहले कैसिडी ने पिछले हफ्ते सीनेट की वित्त समिति की सुनवाई के दौरान भी इस मामले को उठाया था। उन्होंने ट्रेजरी पद के नामित उम्मीदवार जोनाथन ग्रीनस्टीन से लुइसियाना के झींगा उत्पादकों का समर्थन करने का वादा हासिल किया था। इससे पहले इस साल की शुरुआत में कैसिडी और रिपब्लिकन सांसदों ने भारत और चीन से चावल आयात पर रोक लगाने के लिए भी एक बिल पेश किया था।

इस बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने"कुछ गैर-आप्रवासी कामगारों के प्रवेश पर प्रतिबंध" नाम का एक नया आदेश जारी किया है। यह आदेष H-1B वीजा कार्यक्रम के नियम में बड़े बदलाव का ऐलान करता है, जो 21 सितंबर से लागू होगा। इसके तहत H-1B वीजा के नए आवेदन पर सालाना 1,00,000 डॉलर की भारी फीस चुकानी होगी। ट्रंप सरकार का दावा है कि यह कदम 'व्यवस्थागत दुरुपयोग' को रोकने के लिए है।

H-1B वीजा के नियम कड़े होने से टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो जैसी दिग्गज भारतीय आईटी कंपनियों पर वित्तीय बोझ और कंप्लायंस का भार बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। हालिया आंकड़ों के मुताबिक, कुल H-1B वीजा में से लगभग 71–72% भारतीय पेशेवरों को मिलते हैं। ऐस में भारतीय प्रोफेशनलों पर इसका सबसे अधिक असर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह भारत के लिए दोहरी चोट साबित हो सकती है। एक तरफ झींगा एक्सपोर्ट पर टैरिफ से विदेशी व्यापार पर असर पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर H-1B वीजा पर नई शर्तें भारत के 125 अरब डॉलर के रेमिटेंस फ्लो को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।

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Vikrant singh

Vikrant singh

First Published: Sep 20, 2025 11:05 PM

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