Britannia Share Price: सोमवार को इक्विटी मार्केट का कारोबार बंद होने के बाद ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के टॉप मैनेजमेंट में बड़ा बदलाव दिखा जिसका असर आज मंगलवार 11 नवंबर को इसके शेयरों पर तगड़ा दिखा। कंपनी के एमडी और सीईओ वरुण बेरी ने एकाएक अपने इस्तीफे का ऐलान किया और बोर्ड ने इसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार भी कर लिया तो निवेशकों में हड़कंप मच गया। उन्होंने अपना इस्तीफा वर्ष 2029 में अपना कार्यकाल खत्म होने के काफी पहले दिया तो घबराहट में निवेशक धड़ाधड़ शेयरों की बिक्री करने लगे तो इसके भाव 6% से अधिक टूट गए।
निचले स्तर पर शेयरों ने संभलने की कोशिश की लेकिन अब भी यह काफी कमजोर स्थिति में है। आज बीएसई पर यह 2.68% की गिरावट के साथ ₹5967.95 पर बंद हुआ है। इंट्रा-डे में यह 6.69% टूटकर ₹5721.70 तक आ गया था। एक साल में शेयरों के चाल की बात करें तो 4 मार्च 2025 को यह एक साल के निचले स्तर ₹4506.50 पर था जिससे छह महीने में यह 40.62% उछलकर 4 सितंबर 2025 को एक साल के हाई ₹6336.95 पर पहुंच गया था।
अब किसे मिलेगी Britannia की कमान?
ब्रिटानिया के एमडी और सीईओ वरुण बेरी ने अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले इस्तीफा दे दिया। कंपनी के बोर्ड ने इसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार भी कर लिया और उन्हें नोटिस पीरियड भी नहीं सर्व करना होगा। उनका कार्यकाल वर्ष 2029 में खत्म होने वाला था। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से ब्रिटानिया सुर्खियों में बना हुआ है, जब से इसका खुलासा हुआ है कि रक्षित हरगेव (Rakshit Hargave) 15 दिसंबर से इसके नए सीईओ बनेंगे। कुछ दिनों पहले रक्षित ने ग्रासिम की बिड़ला ओपस के सीईओ पद से इस्तीफा दिया था। रक्षित 15 दिसंबर से ब्रिटानिया के एमडी भी बनेंगे। रक्षित से पहले यानी कि नए सीईओ की नियुक्ति से पहले तक ब्रिटानिया की कमान सीएफओ एन वेंकटरमण को मिली है।
Varun Berry के समय कितनी आगे बढ़ी ब्रिटानिया?
वरुण बेरी के कार्यकाल में ब्रिटानिया का रेवेन्यू ढाई गुना बढ़ा जबकि नेट प्रॉफिट में छह गुना का उछाल दिखा। इस दौरान मार्जिन भी 900 बेसिस प्वाइंट्स से अधिक बढ़ गया। वहीं मार्केट कैप की बात करें तो यह करीब 18 गुना बढ़ गया।
क्या कहना है ब्रोकरेज फर्म का?
घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने हाल ही में ब्रिटानिया की रेटिंग को अपग्रेड कर न्यूट्रल कर खरीदारी कर दी। हालांकि ब्रोकरेज का कहना है कि वरुण बेरी के लंबे और सफल कार्यकाल और अब जल्द ही कंपनी से बाहर निकलने का कंपनी के शेयरों पर नियर-टर्म में दबाव दिख सकता है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि अब इस बदलाव के साथ नए सीईओ और उनकी स्ट्रैटेजी पर फोकस रहेगा लेकिन नियर टर्म में अहम नजर ग्रोथ रिकवरी पर रहेगी।
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