भारत और अमेरिका के पॉलिसी रेट में 125 बेसिस प्वाइंट यानी 1.25 फीसदी का अंतर है। यह अंतर कई दशकों के निम्न लेवल पर है। ऐसे में ब्याज दरों में जल्द कटौती की उम्मीद नहीं है। दोनों देशों के ब्याज दरों में कम अंतर भारत के करेंट अकाउंट को संवेदनशील बना देता है। ये बातें Waterfield Advisors के अजीम अहमद (Azeem Ahmad) ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कही हैं। कैपिल और इक्विटी मार्केट का 20 सालों से ज्यादा का अनुभव रखने वाले अजीम का मानना है कि इस समय परंपरागत निवेश विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए।
अजीम अहमद ने आगे कहा कि भारतीय बाजार इस समय घरेलू इकोनॉमी पर आधारित स्टॉक्स पर ज्यादा भरोसा जता रहे हैं। ग्लोबल इकोनॉमी पर निर्भर स्टॉक्स को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। ऐसे में घरेलू बाजार पर निर्भर सेक्टरों पर नजर रहनी चाहिए। घरेलू बाजार में कारोबार करने वाली फार्मा कंपनियां और पावर यूटिलिटीज के स्टॉक निवेश के नजरिए से अच्छे लग रहे हैं।
अप्लायंसेज और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स में जोरदार ग्रोथ की उम्मीद
इस बातचीत में उन्होंने कहा कि देश में डिस्पोजेबल इनकम में बढ़ोतरी और टेक्नोलॉजी इनोवेशन के चलते कंज्यूमर ड्यूरेबल गुड्स की डिमांड बढ़ रही है। 2021 में भारत में अप्लायंसेज और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री का बाजार 9.84 अरब डॉलर का था। 2025 तक यह बाजार दो गुना बढ़कर 21.18 अरब डॉलर का होने की संभावना है। 2021 में फ्रिज, वाशिंग मशीन, एयर कंडीशनर का बाजार क्रमश: 3.82 अरब डालर, 8.43 अरब डॉलर और 3.84 अरब डॉलर का था।
उम्मीद है कि 2025 तक एसी का बाजार 2019 के 65 लाख यूनिट से बढ़कर 165 लाख यूनिट हो जाएगा। इसी तरह फ्रिज का मार्केट भी इस अवधि में 145 लाख यूनिट से बढ़कर 2025 तक 275 लाख यूनिट तक हो सकता है। ऐसे में आगे हमें कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और अप्लायसेंस से जुड़े स्टॉक मे अच्छी कमाई हो सकती है।
क्या इक्विटी मार्केट का आने वाले महीनों में रिकॉर्ड हाई हिट करना मुश्किल होगा? इस सवाल के जवाब में अजीम ने कहा कि अगर ग्लोबल वित्तीय मार्केट में स्थिरता आती है तो इंडियन इक्विटी मार्केट जल्द ही नया हाई लगाता दिख सकता है।
क्या आपको लगता है कि मानसून नॉर्मल रहने पर आरबीआई साल के अंत तक दरों में कटौती कर सकता है? इस सवाल का जवाब देते हुए अजीम ने कहा कि मानसून भारत में महंगाई को प्रभावित करने वाला एक अहम फैक्टर है। अगर हम यह मान लें कि भारत में इस साल मानसून नॉर्मल रहेगा तो भारत में ब्याज दरों की स्थिति विकसित बाजारों खासकर अमेरिकी ब्याज दरों के अनुरूप प्रतिक्रिया करेगी। इस समय भारत और अमेरिका के बीच ब्याज दर का स्प्रेड या अंतर 1.25 फीसदी यानी 125 बेसिस प्वाइंट के बहुदशकीय निम्न स्तर पर है। ऐसे में भारत में ब्याज दरों के कटौती की संभावना बहुत कम दिख रही है। क्योंकि अगर अमेरिका और भारत के ब्याज दरों का अंतर और कम होता है तो देश में वित्तीय घाटा बढ़ता नजर आ सकता है। इस स्थिति में आरबीआई कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगा।
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