बाजार की आगे की चाल और दिशा पर सीएनबीसी -आवाज से बात करते हुए Enam Holdings के मनीष चोखानी का कहना है कि बर्लिन की दीवार गिरने के बाद दुनिया बदली थी। 1989 के बाद ग्लोबलाइजेशन का दौर आया था। अब दुनिया नई व्यवस्था की तरफ बढ़ रही है। ग्लोबलाइजेशन की जगह आत्मनिर्भरता पर जोर दिया जा रहा है। कोविड के बाद आत्मनिर्भरता पर फोकस बढ़ा है। भारत की बचत की परंपरा से इकोनॉमी को सपोर्ट मिला ।
उन्होंने आगे कहा कि FIIs की बिकवाली को रिटेल निवेशकों ने संभाला है। अपनी संस्कृति के चलते भारत मजबूती से खड़ा है। दुनिया के कई देशों की स्थिति बेहद खराब है। श्रीलंका, अफगानिस्तान, यूक्रेन जैसे देश सकंट में है। साथ ही यूरोपीय देश भी संकट से गुजर रहे हैं।
CNBC-Awaaz के साथ अपनी खास बातचीत में मनीष चोखानी ने आगे कहा कि सरकार ने महंगाई को संभालने की कोशिश की है। ग्लोबल संकट से भारत पूरी तरह अछूता नहीं रहेगा। मंदी, करेंसी वॉर, महंगाई का असर भारत पर भी पड़ेगा । मंदी की सूरत में कैपेक्स भी प्रभावित होगा। 30 साल में इक्विटी, बॉन्ड मार्केट में तेजी रही। 30 साल से एक तरफा चाल का दौर अब खत्म होगा। उन्होंने आगे कहा कि सस्ते ब्याज दरों का अब समय नहीं रहा है। खराब कारोबार वाली कंपनियां परफॉर्म नहीं करेंगी। हम गुड ओल्ड इकोनॉमी की तरफ बढ़े रहे हैं। अच्छे कारोबार वाली कंपनियां ही इस दौर में टिकेंगी। आनेवाले समय में भारत मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हब बनेगा । चीन और यूरोप में केमिकल इंडस्ट्री ठप हुई है। पूरे सेक्टर पर बुलिश रहने में फायदा नहीं है। अच्छे कारोबार वाली कंपनियों पर फोकस रखें।
सेंट्रल बैंक की ताकत घटी, सरकारों का दखल बढ़ा है। चुनाव के मद्देनजर आर्थिक फैसले लिए जा रहे हैं। US में दरें बढ़ रही है, यूरोप में पॉलिसी सख्ती नहीं है। जापान में भी ब्याज दरें नहीं बढ़ रही हैं।
रुपये की चाल पर बात करते हुए मनीष चोखानी का कहना है कि रुपए को ग्लोबलाइज नहीं करने से नुकसान हुआ है। दूसरी करेंसी में ट्रेड सेटल होना अच्छी बात नहीं है। डॉलर में ट्रेड सेटलमेंट के चलते रिजर्व रखना पड़ता है। US डॉलर छापता है तो हमारी करेंसी पर असर पड़ता है। दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने की राह पर भारत है। भारत की दूसरी करेंसी पर निर्भरता नहीं घटी है। डॉलर में दूसरे देशों को पेमेंट करना अच्छी बात नहीं है। दुनिया में डॉलर के वर्चस्व को चुनौती मिल रही है।
किन सेक्टर पर बनेगा पैसा? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर में निवेश के अच्छे मौके हैं । NPA, कोविड जैसी चुनौतियों से बैंकिंग सेक्टर बाहर निकला है। इकोनॉमी में तेजी का फायदा बैंकों को मिलेगा। आगे बाजार में प्राइवेट बैंकों की भागीदारी ज्यादा होगी। डर के समय भी अच्छी कंपनी में निवेश करना चाहिए। एक साल पहले लोग ITC को हाथ नहीं लगाते थे। उन्होंने आगे कहा कि टेलीकॉम सेक्टर को लेकर भी पहले आशंकाएं थीं । अभी बैंक, AMC मीडिया को लेकर भी वैसी ही आशंकाएं है।
मनीष चोखानी ने आगे कहा कि PSU में वहां नजर रखे, जहां विनिवेश होने को है । सरकारी कंपनियां अच्छा कर सकती हैं। IT में कुछ कंपनियां आगे अच्छा कर सकती है। पिछले साल HAL, BEL ने अच्छा प्रदर्शन किया। डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ेगा तो कंपनियों को फायदा मिलेगा। डिफेंस 10 साल की थीम हो सकता है।