HDB Financial Share Price: देश के सबसे बड़े प्राइवेट लेंडर एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) की नॉन-बैंकिंग लेंडिंग इकाई एचडीबी फाइनेंशियल के लिए कारोबारी नतीजे पर शेयर झुलस गए। सितंबर तिमाही के मिले-जुले कारोबारी नतीजे पर एक बार फिर एचडीबी फाइनेंशियल के शेयर आईपीओ प्राइस के नीचे आ गए। आज बीएसई पर यह 0.79% की गिरावट के साथ ₹737.45 पर बंद हुआ है। इंट्रा-डे में यह 1.37% फिसलकर ₹733.15 के भाव तक आ गया था। इसके शेयर आईपीओ निवेशकों को ₹740 के भाव पर जारी हुए थे और घरेलू स्टॉक मार्कट में 2 जुलाई 2025 को एंट्री हुई थी। लिस्टिंग के अगले ही दिन यह ₹891.65 के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया था जिससे तीन ही महीने में यह 18.29% टूटकर 9 अक्टूबर को यह ₹728.60 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया था।
HDB Financial पर है ब्रोकरेज फर्मों का रुझान?
मॉर्गन स्टैनले ने एचडीएफसी फाइनेंशियल सर्विसेज को ₹805 के टारगेट प्राइस पर इक्वलवेट रेटिंग दी है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि हायर नेट इंटेरेस्ट मार्जिन (NIM) और ऑपरेटिंग कॉस्ट में नरमी के दम पर इसका मुनाफा और ऑपरेटिंग प्रॉफिट उम्मीद से अधिक रहा। क्रेडिट कॉस्ट, बैल लोन फॉर्मेशन और राइट-ऑफ बढ़े हैं लेकिन तिमाही आधार पर स्टेज 2 लोन स्थिर बने हुए हैं। हायर एनआईएम पर ब्रोकरेज फर्म ने वित्त वर्ष 2026 के लिए इसके EPS (प्रति शेयर कमाई) के अनुमान को 4% बढ़ा दिया है लेकिन वित्त वर्ष 2027 के लिए 0.4% और वित्त वर्ष 2028 के लिए 3% की कटौती कर दी है।
एचडीबी फाइनेंशियल के कारोबारी नतीजे की खास बातें
क्रेडिट कॉस्ट में उछाल के चलते सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर एचडीबी फाइनेंशियल का शुद्ध मुनाफा 1.7% घटकर ₹580 करोड़ के करीब आ गया। इसकी क्रेडिट कॉस्ट 20 बेसिस प्वाइंट उछलकर 2.7% पर पहुंच गई जो कोरोना महामारी के बाद से सबसे अधिक है। मैनेजमेंट को उम्मीद है कि मीडियम टर्म में यह घटकर करीब 2.2% तक आ सकता है। इस दौरान एनबीएफसी के एयूएम की ग्रोथ 13% रही लेकिन एनआईएम में तिमाही आधार पर 20 बीपीएस की ग्रोथ ने चौंका दिया।
एसेट क्वालिटी की बात करें तो तिमाही आधार पर यह कमजोर हुई और इसे मुख्य रूप से कॉमर्शियल वेईकल पोर्टफोलियो में दबाव से झटका लगा। मैनेजमेंट का कहना है कि कॉमर्शियल वेइकल सेगमेंट में जारी दबाव मुख्य रूप से मानसूनी बारिश के चलते रही। ब्याज से नेट इनकम सालाना आधार पर 20% बढ़कर सितंबर तिमाही में ₹2,192 करोड़ पर पहुंच गया जिसे मार्जिन में 20 बेसिस प्वाइंट सुधरकर 7.9% पर पहुंचने से सपोर्ट मिला। कंपनी का प्री-प्रोविजन ऑपरेटिंग प्रॉफिट (PPOP) इस दौरान 24% बढ़कर ₹1530 करोड़ पर पहुंच गया।
लोन बुक की बात करें तो सालाना आधार पर यह 13% बढ़कर ₹1,11,409 करोड़ पर पहुंच गया लेकिन इस दौरान डिस्बर्समेंट्स 0.5% गिरकर सितंबर तिमाही में ₹15,599 करोड़ पर आ गया। मैनेजमेंट का अनुमान है कि अगले 3-5 वर्षों में लोन सालाना 18-20% की चक्रवृद्धि रफ्तार (CAGR) से बढ़ेगी। मैनेजमेंट का कहना है कि कंज्यूमर और ऑटो सेगमेंट में इस महीने अक्टूबर में अच्छा रुझान दिख रहा है और अब इस वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में जीएसटी दरों में कटौती और एक्टिविटी लेवल के सामान्य होने से ग्रोथ और एसेट क्वालिटी में सुधार की उम्मीद है।
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