शुक्रवार को सेंसेक्स 651 अंक गिरकर 60,000 के मनोवैज्ञानिक लेवल से नीचे आ गया। लेकिन पिछले कुछ दिनों की तेजी के बाद सेंसेक्स ने जब 60,000 का अहम लेवल टच किया तो यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या यह बुल रन की शुरुआत है?
शुक्रवार को सेंसेक्स 651 अंक गिरकर 60,000 के मनोवैज्ञानिक लेवल से नीचे आ गया। लेकिन पिछले कुछ दिनों की तेजी के बाद सेंसेक्स ने जब 60,000 का अहम लेवल टच किया तो यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या यह बुल रन की शुरुआत है?
क्यों बढ़ा भरोसा?
चार महीने के बाद Sensex ने एक बार फिर 60,000 का स्तर हासिल कर लिया है। बुधवार को सेंसेक्स 0.7 फीसदी की बढ़त के साथ 60260 के स्तर पर बंद हुआ था। ये साल स्टॉक मार्केट के लिए काफी वोलेटाइल रहा है। इस साल अब तक सेंसेक्स में सिर्फ 1.8 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। साल की पहली छमाही में मार्केट का बेंचमार्क इंडेक्स कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त, बढ़ती ब्याज दर, रूस-यूक्रेन की लड़ाई, अमेरिका में मंदी की आशंका और एफआईआई की बिकवाली के चलते दबाव में रहा।
लेकिन साल की दूसरी छमाही से अच्छे संकेत मिलने लगे हैं। एफआईआई अब भारतीय बाजार में फिर से खरीदारी करते दिख रहे हैं। कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल रही है। लेकिन बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों में बढ़ोतरी की चिंता अभी भी बनी हुई है। इसके बावजूद अब बाजार को लग रहा है कि सबसे बुरा दौर बीत चुका है। पिछले दो महीनों में इन पॉजिटिव बदलावों के चलते ही Sensex में 17 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।
अब सवाल ये है कि छोटी अवधि में आई इतनी तेज रैली के बाद अब इक्विटी निवेशकों को क्या करना चाहिए? आइए जानते हैं इस पर क्या है जानकारों की राय।
नए निवेशक मुनाफा वसूली कर सकते हैं
Probitus Wealth की कविता मेनन का कहना है कि मार्केट के निचले स्तरों पर 2020 में निवेश शुरू करने वाले नए निवेशकों को मुनफा वसूली कर लेनी चाहिए। हालांकि बाजार से उतार-चढ़ाव से निपटने का अनुभव रखने वाले पुराने और अनुभवी निवेशकों को अपने निवेश में बने रहना चाहिए। निवेशकों के एक असेट क्लॉस के रूप में इक्विटी में विश्वास बनाए रखना चाहिए लेकिन अपने रिटर्न पाने की उम्मीद को थोड़ा कम रखना चाहिए। निवेशकों को इस समय 2020 और 2021 जैसे डबल-ट्रिपल रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उनका ये भी कहना कि इक्विटी बाजार को लेकर बुलिश रहने के की कारण दिख रहे हैं। पहला तो ये है कि महंगाई का सबसे बुरा दौर बीत गया लगता है, दूसरा ये कि कंपनियों के नतीजों काफी अच्छे रहे हैं।
वोलैटिलिटी की संभावना कायम
बाजार जानकारों का कहना है कि पिछले दो महीनों में आई जोरदार तेजी के बावजूद बाजार में वोलैटिलिटी की संभावना कायम है। निवेशकों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए। MoneyWorks Financial Services की निसरीन मामाजी (Nisreen Mamaji) का कहना है कि निवेशकों को सलाह होगी कि SIPs (सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) और STPs (सिस्टेमेटिक ट्रांसफर प्लान) के जरिए निवेश करना जारी रखें। हमें बाजार में करेक्शन के कई और दौर देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में वर्तमान बाजार स्थितियों में SIP और STP के जरिए होने वाला निवेश जोखिम से निपटने का अच्छा तरीका हो सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि जिन निवेशकों को तत्काल पैसे की जरूरत है या जो निवेशक अपने फाइनेंशियल गोल को हासिल कर चुके हैं या इसके बहुत करीब हैं वे अपने पोर्टफोलियो की रि-बैलेंसिंग करते हुए अपना फंड डेट इंस्ट्रूमेंट्स में डाल सकते हैं। लेकिन उनको इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि पैसे निकालने के समय डेट फंडों पर ज्यादा टैक्स देना होता है। निसरीन मामाजी की राय है कि लंबी अवधि के फाइनेंशियल गोल वाले निवेशकों को इक्विटीज में बने रहना चाहिए।
वेट एंड वॉच मोड में रहें
जनवरी और जून के बीच एफपीआई ने भारतीय इक्विटी मार्केट में 2.17 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। जबकि पिछले 2 महीनों से ये भारतीय बाजार में एक बार फिर से खरीदारी करते नजर आए हैं। इस अवधि में इन्होंने 41705 करोड़ रुपये की खरीदारी की है।
Axiom Financial Services के दीपक छाबरिया का कहना है कि हालांकि एफपीआई द्वारा अब अच्छी खरीदारी देखने को मिल सकती है। इसके बावजूद हमें वेट और वॉच मोड में रहना चाहिए क्योंकि यहां से बाजार अब किसी भी तरफ मूव कर सकता हैं।
इसी तरह Credence Wealth का कीर्तन शाह का कहना है कि महंगाई और ब्याज दर अब अपने पीक पर पहुंच गए नजर आ रहे हैं। वहीं अमेरिकी बाजार अपने लॉन्ग टर्म एवरेज की तुलना में महंगे वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहे हैं। ऐसे में अगर अमेरिकी बाजार में कोई करेक्शन आता है तो इसका असर भारतीय बाजारों पर भी दिखेगा।
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