मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) का मानना है कि रेगुलेटरी संस्था में खराब वर्क कल्चर को लेकर हालिया विवाद 'गुमराह करने वाला' है और यह शायद बाहरी 'तत्वों' से प्रेरित है। सेबी (SEBI) की तरफ से 4 सितंबर को जारी बयान में कहा गया है, ' हमारा मानना है कि सेबी के जूनियर ऑफिसर (जो बड़ी संख्या में मौजूद) मूल रूप से एचआरए के तौर पर मिलने वाले भत्ते को लेकर दुखी थे और ऐसा लगता है कि उन्हें बाहरी तत्वों द्वारा गुमराह किया गया है। हालांकि, इन एंप्लॉयीज पर परफॉर्मेंस और जवाबदेही के मामले में सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। दरअसल, इन लोगों ने दिखाया है कि वे मार्केट के इकोसिस्टम में बेहतर परफॉर्मेंस देने मे पूरी तरह से सक्षम हैं।'
सेबी का यह भी कहना है कि जूनियर एंप्लॉयीज को इस मामले में गुमराह किया गया कि वे कम सैलरी मिलती है। एंप्लॉयीज की सीटीसी 34 लाख रुपये सालाना होने के बावजूद उन्हें गुमराह किया गया। मार्केट रेगुलेटर का मानना है कि इन स्टाफ को भड़काया गया कि वे मौद्रिक फायदे के लिए वर्क कल्चर को मुद्दा बनाकर इसका इस्तेमाल करें और उन्हें इसके बाद प्रमोशन मिलेगा।
सेबी की प्रेस रिलीज में कहा गया है, 'सेबी के ऑफिसर्स की सैलरी पहले से काफी अच्छी है और ग्रेड ए के एंट्री लेवल ऑफिसर्स का सीटीसी तकरीबन 34 लाख रुपये सालाना है, जो कॉरपोरेट सेक्टर से जुड़ी बेहतर कंपनियों के सैलरी स्टैंडर्ड के बराबर है। एंप्लॉयीज की तरफ से की गई नई मांग की वजह से अतिरिक्त 6 लाख रुपये सालाना सीटीसी का बोझ बढ़ेगा।'
मार्केट रेगुलेटर का यह भी कहना था कि संस्था के वर्क कल्चर को बेहतर बनाने के लिए पिछले दो-तीन महीने में कुछ उपाय किए गए हैं।