Paras Defence Share Price: दिग्गज एयरोस्पेस और डिफेंस कंपनी Paras Defence and Space Technologies का आईपीओ पिछले साल वर्ष 2021 में आया था और यह पिछले साल लैंटेट व्यू एनालिटिक्स के बाद दूसरा सबसे अधिक सब्सक्राइब होने वाला इश्यू बन गया। लिस्टिंग पर भी इसने निवेशकों को तगड़ा मुनाफा दिया। 1 अक्टूबर 2021 को इसने आईपीओ निवेशकों को 171 फीसदी लिस्टिंग गेन दिया था।
अब लिस्टिंग के एक साल बाद इसके शेयर 32 फीसदी उछल चुके हैं लेकिन इस साल 2022 में अब तक 12 फीसदी टूट चुका है। ऐसे में निवेशकों को क्या स्ट्रैटजी बनानी चाहिए, इसके लिए एक्सपर्ट्स लांग टर्म के लिए निवेश की सलाह दे रहे हैं।
यह कंपनी डिफेंस और स्पेस इंजीनियरिंग से जुड़े प्रोडक्ट्स और सॉल्यूशंस की तैयार करती है और उनकी टेस्टिंग करती है। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आत्मनिर्भर भारत से इसके कारोबार को तगड़ा सपोर्ट मिला है और इसका ऑर्डर बुक वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2022 के बीच 156 करोड़ रुपये से उछलकर 300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसके अलावा नेट प्रॉफिट भी इस अवधि में उछलकर 19.6 करोड़ रुपये से उछलकर 27 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
ड्रोन के दम पर ऊंची उड़ान के आसार
घरेलू ब्रोकरेज फर्म हेम सिक्योरिटीज के मोहित निगम ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि पारस डिफेंस फंडामेंटल रूप से मजबूत स्टॉक है और इसका बैलेंस शीट भी शानदार है। इसके अलावा ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग सेग्मेंट में यह प्रमुख खिलाड़ी है। ऐसे में एनालिस्ट्स का मानना है कि कंपनी की ग्रोथ में यह सेक्टर अहम भूमिका निभा सकता है। सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के मुताबिक वित्त वर्ष 2026 तक भारतीय ड्रोन इंडस्ट्री 150 करोड़-190 करोड़ डॉलर तक का हो सकता है।
करीब एक महीने पहले पारस डिफेंस ने चेक रिपब्लिक की ELDIS Pardubice के साथ एक एक्स्क्लूसिव टीमिंग एग्रीमेंट किया है। इसके तहत पारस डिफेंस भारत में सिविलियन एयरपोर्ट के लिए टर्न्की एंटी-ड्रोन सिस्टम्स उपलब्ध कराएगी। पिछले साल लिस्टिंग के बाद कंपनी को ड्रोन कंपोनेंट बनाने के लिए पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिंव) स्कीम के तहत चुना गया है।
इसके अलावा कंपनी ने न्यू स्पेस इंडिया के साथ एक्स्क्लूसिव एग्रीमेंट्स किया और एक लेटर ऑफ इंटेंट साइन किया। वैश्विक स्तर पर बात करें तो डिफेंस इंडस्ट्री 2026 तक 5.8 फीसदी की सीएजीआर से बढ़कर 60.48 हजार करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है।
वेंचुरा सिक्योरिटीज के विनीत बोलिंजकर के मुताबिक डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल की दी हुई मंजूरी और आत्मनिर्भर भारत मुहिम के तहत पारस डिफेंस पर फोकस रहने की उम्मीद है। निगम का भी मानना है कि लांग टर्म में कंपनी की ग्रोथ बेहतर दिख रही है। जीडीपी में डिफेंस एक्सपेंडिचर का हिस्सा बढ़ा रहा है और पिछले एक साल से इस सेक्टर की दोबारा रेटिंग में तेजी आई है। ऐसे में निवेशकों को लांग टर्म में मुनाफे के लिए इसमें अपने निवेश को होल्ड रखना चाहिए।
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