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MC Analysis | डॉलर के मुकाबले रुपया 78 पर, क्या अब यही है रुपए का न्यू नॉर्मल!

तमाम ग्लोबल चुनौतियों के बीच आरबीआई के पास रुपये को संभालने के बहुत सीमित विकल्प है। ऐसे में रुपये को उसका न्यू नॉर्मल हासिल करने के लिए उसकी हालात पर छोड़ा जा सकता है

अपडेटेड Jul 22, 2022 पर 12:55 PM
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मार्च के अंत से 08 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 27 अरब डॉलर की कमी आई है।

डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार कमजोरी बनी हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब 78 का स्तर डॉलर के मुकाबले रुपये का नया एक्सचेंज रेट होगा? इस सवाल के जवाब में कुछ एनालिस्ट का कहना है , हां।

LKP Securities ने 20 जुलाई को जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि डॉलर के मुकाबले रुपया अगले दो -तीन महीनों के दौरान 78 से 82 के स्तर के बीच  घूमता नजर आ सकता हैं।

लोकल और ग्लोबल दोनों ही फैक्टर भारतीय करेंसी पर दबाव बनाए रखेंगे। आरबीआई के पास भी इस मुश्किल से निपटने के लिए सीमित विकल्प हैं। इसके अलावा अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी रुपये पर अपना असर दिखाएगी।


बता दें कि भारतीय रुपये में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। सरकार और आरबीआई की तरफ से रुपये को संभालने के लिए किए गए उपायों का भी बहुत ज्यादा असर देखने को नहीं मिल रहा है। रुपये की गिरावट को रोकने के लिए सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई है। वहीं आरबीआई ने देश में विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए कई दूसरे निवेश के रास्ते खोले हैं। फिर भी रुपये पर इसका बहुत असर पड़ता नहीं दिखा है।

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तमाम ग्लोबल चुनौतियों के बीच आरबीआई के पास रुपये को संभालने को बहुत सीमित विकल्प हैं। ऐसे में रुपये को उसका न्यू नॉर्मल हासिल करने के लिए उसके हालात पर छोड़ा जा सकता है। अगर केंद्रीय बैंक मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए डॉलर की बिक्री करती है तो इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट होगी। जो कि 8 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते में 580 अरब डॉलर पर थी।

मार्च के अंत से 08 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 27 अरब डॉलर की कमी आई है। ऐसे में पड़ोसी देश श्रीलंका में आया संकट आरबीआई के लिए भी एक रिमाइंडर है। जो आरबीआई को यह संदेश देता है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट अच्छी बात नहीं है। भारत इस मुश्किल को बर्दाश्त नहीं कर सकता ।

हालांकि भारत सरकार और आरबीआई ने देश में विदेशी पैसे के फ्लो को वापस लाने के लिए  कई कदम उठाए हैं। फिर भी भारत से एफआईआई की निकासी जारी है। अक्टूबर 2021 से अब तक एफआईआई ने भारत में 34.41 अरब डॉलर की बिकवाली की है। वहीं साल 2022 में अब तक एफआईआई की तरफ से 29.64 अरब डॉलर की बिकवाली हुई है। जानकारों का मानना है कि जब तक यूएस फेड का रूख स्पष्ट नहीं होता तब तक इस ट्रेंड में किसी बदलाव की संभावना नहीं है।

तो अब हमारे पास रुपये की हालत से निपटने का क्या तरीका है? ऐसे में अधिकांश एनालिस्ट का कहना है कि रुपये को अपना न्यू नॉर्मल हासिल करने के लिए उसको उसकी हालत पर छोड़ देना चाहिए। आगे रुपये की चाल यूएस फेड के रैवेये, कच्चे तेल के भाव जैसे फैक्टर्स पर निर्भऱ करेगी ।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन (Joe Biden) हाल ही में मिडल ईस्ट के अपने दौरे पर गए थे। इस दौरान वे सऊदी अरब के साथ तेल की सप्लाई बढ़ाने के लिए कोई समझौता करने में सफल नहीं रहे। इससे पूरी दुनिया के बाजारों को निराशा हुई और क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी आई।

जानकारों का कहना है कि रुपये में बहुत ज्यादा कमजोरी भारत के इंपोर्ट के लिए बड़ा झटका होगा। इससे महंगाई बढ़ेगी और चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी होगी। आरबीआई इसके बारे में जानता है लेकिन उसके पास बहुत सीमित विकल्प हैं। ऐसे में रुपये की कमजोरी से निपटना आरबीआई के लिए रस्सी पर चलने जैसा है।

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