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SEBI ने सिक्योरिटाइजेशन में 1 करोड़ रुपये के मिनिमम निवेश का रखा प्रस्ताव, जानिए डिटेल

पब्लिक इश्यू कम से कम तीन दिन और अधिकतम 10 दिन तक खुले रहने चाहिए, और एडवर्टाइजमेंट की जरूरतें नॉन-कनवर्टिबल सिक्योरिटीज के लिए सेबी के नियमों के अनुरूप होनी चाहिए। इसके अलावा, रेगुलेटर ने सुझाव दिया है कि सभी सिक्योरिटाइज्ड डेट इंस्ट्रूमेंट को विशेष रूप से डीमैट फॉर्म में जारी और ट्रांसफर किया जाना चाहिए

अपडेटेड Nov 03, 2024 पर 8:43 PM
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सेबी ने सिक्योरिटाइजेशन एक्टिविटी में लगे RBI-रेगुलेटेड और अन-रेगुलेटेड एंटिटीज के लिए निवेश सीमा 1 करोड़ रुपये तय करने का प्रस्ताव दिया है।

मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने सिक्योरिटाइजेशन एक्टिविटी में लगे RBI-रेगुलेटेड और अन-रेगुलेटेड एंटिटीज के लिए निवेश सीमा 1 करोड़ रुपये तय करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव में प्राइवेट प्लेसमेंट में निवेशकों की संख्या पर लिमिटेशन भी पेश की गईं। इसमें प्राइवेटली जारी किए गए सिक्योरिटाइज्ड डेट इंस्ट्रूमेंट (SDI) को अधिकतम 200 निवेशकों को ऑफर करने की अनुमति मिली। अगर यह लिमिट पार हो जाती है, तो जारी किए गए इश्यू को पब्लिक इश्यू के रूप में क्लासिफाइड किया जाना चाहिए।

पब्लिक इश्यू कम से कम तीन दिन और अधिकतम 10 दिन तक खुले रहने चाहिए, और एडवर्टाइजमेंट की जरूरतें नॉन-कनवर्टिबल सिक्योरिटीज के लिए सेबी के नियमों के अनुरूप होनी चाहिए। इसके अलावा, रेगुलेटर ने सुझाव दिया है कि सभी सिक्योरिटाइज्ड डेट इंस्ट्रूमेंट को विशेष रूप से डीमैट फॉर्म में जारी और ट्रांसफर किया जाना चाहिए।

SDI फाइनेंशियल प्रोडक्ट हैं जो कई तरह के डेट - जैसे लोन, मॉर्गेज या रिसीवेबल - को एक साथ जोड़कर बनाए जाते हैं और फिर उन्हें निवेशकों को सिक्योरिटीज के रूप में बेचते हैं। सिक्योरिटाइजेशन के रूप में जानी जाने वाली यह प्रक्रिया, ओरिजनेटर (जैसे बैंक) को इलिक्विड एसेट एसेट्स को लिक्विड एसेट्स में कनवर्ट करने की अनुमति देती है, जिससे फंडिंग का एक अल्टरनेटिव सोर्स मिलता है। इन इंस्ट्रूमेंट्स में निवेशकों को संभावित रूप से आकर्षक रिटर्न मिलता है।


वर्तमान फ्रेमवर्क सेबी 2008 रेगुलेशन पर बेस्ड है, जिसमें सिक्योरिटाइजेशन स्टैंडर्ड एसेट्स पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2021 के निर्देशों से अपडेट किया गया है। सेबी अब सिक्योरिटाइज्ड डेट इंस्ट्रूमेंट के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के अपडेट पर विचार कर रहा है और प्रस्तावों पर 16 नवंबर तक लोगों की टिप्पणियां मांगी हैं।

रिस्क मैनेजमेंट के तहत सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि कर्ज जारी करने वाले संस्थान (ओरिजिनेटर) को कर्ज के पूल का कम से कम 10 फीसदी या 24 महीनों तक की अवधि वाले बकायों का 5 फीसदी जोखिम बनाए रखना होगा। सेबी ने यह भी कहा है कि कर्ज की रकम पर संस्थान की रुचि बनी रहे, इसके लिए न्यूनतम होल्डिंग अवधि की आवश्यक होगी।

इसके अलावा, सेबी ने “क्लीन-अप कॉल” का सुझाव भी दिया है, जिससे ओरिजिनेटर को संपत्तियों के मूल मूल्य का 10 फीसदी तक फिर से खरीदने करने का विकल्प मिलेगा। यह विकल्प वैकल्पिक होगा और इसे पूल की अवधि को मैनेज करने के लिए दिया गया है।

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