Share Markets: दिवाली के महीने में शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही है। विदेशी निवेशकों (FIIs) की वापसी और त्योहारी जोश के बीच सेंसेक्स अक्टूबर में अब तक 4,159 अंक यानी करीब 5% तक बढ़ चुका है। वहीं निफ्टी अब अपने ऑलटाइम हाई रिकॉर्ड से सिर्फ 410 अंक दूर रह गया है।
शेयर बाजार की इस तेजी के पीछे विदेशी निवेशकों की वापसी को बड़ा कारण माना जा रहा है। पिछले तीन महीनों में लगातार बिकवाली करने के बाद अक्टूबर में विदेशी निवेशक लौटते दिख रहे हैं। इस महीने अब तक उन्होंने भारतीय शेयर बाजारों में ₹7,300 करोड़ का शुद्ध निवेश किया है। इसके चलते सेंसेक्स अब अपने 85,978 अंक के ऑलटाइम हाई से केवल 1,552 अंक नीचे है।
क्या यह तेजी नए बुल मार्केट की शुरुआत है?
एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?
जियोजित इनवेस्टमेंट्स के डॉ. वीके विजयकुमार का कहना है कि FY25 में भारत की अर्निंग्स ग्रोथ 24% से गिरकर 5% पर आ गई थी, जो बाजार के अंडरपरफॉर्मेंस का मुख्य कारण रहा। हालांकि, ऑटोमोबाइल और व्हाइट गुड्स की मजबूत फेस्टिव सेल्स यह संकेत दे रही हैं कि FY26 में अर्निंग्स ग्रोथ 8–10% तक पहुंच सकती है और FY27 में यह 15% तक तेज हो सकती है। हालांकि यह भी चेतावनी दी कि लॉन्ग-टर्म रुझान अभी भी कमाई की स्थिरता पर निर्भर करेगा।
वेंचुरा सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड, विनीत बोलिंजकर का मानना है कि इस संवत वर्ष में निफ्टी 27,600 और सेंसेक्स 90,100 के स्तर तक जा सकता है। उन्होंने कहा कि FY25 की कमजोर अर्निंग्स अब बॉटम आउट हो चुकी हैं। घरेलू खपत आधारित कमाई, भारत-अमेरिका के बीच संभावित ट्रेड डील, सरकारी पूंजीगत खर्च और ब्याज दरों में नरमी से बाजार में आगे भी तेजी रह सकती है।
निफ्टी फिलहाल CY26 के अनुमानित P/E के 18x पर ट्रेड कर रहा है, जो इसके लंबी अवधि के औसत 17x से थोड़ा ऊपर है। बोलिंजकर ने कहा कि यह बताता है कि शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने के जोखिम सीमित है।
अगले संवत तक निफ्टी छू सकता है 30,000 का स्तर: विकास खेमानी
कार्नेलियन एसेट मैनेजमेंट के फाउंडर और सीईओ, विकास खेमानी का कहना है कि निफ्टी के 29,000–30,000 के स्तर तक पहुंचने की प्रबल संभावना है। उनका मानना है कि अमेरिका में ब्याज दरें घटने से उभरते बाजारों में पूंजी का फ्लो बढ़ेगा, जिसका सबसे बड़ा लाभ भारत को मिल सकता है।
तीन महीने बाद FIIs की वापसी
विदेशी निवेशक अक्टूबर में शुद्ध खरीदार बनते दिख रहे हैं। इससे पहले तीन महीनों में उन्होंने 76,600 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी। अलकेमी कैपिटल के क्वांट हेड और फंड मैनेजर, अलोक अग्रवाल का कहना है कि FIIs की मौजूदा अंडरवेट पोजिशन साल 2009 के बाद सबसे ज्यादा है, लेकिन अब यह धीरे-धीरे पलट सकती है। कंपनियों की अर्निंग्स स्थिर हो रहे हैं और इससे रिस्क-रिवार्ड रेशियो आकर्षक बन रहा है।
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