शेयर बाजार में 23 अक्टूबर की गिरावट के बाद कई निवेशकों ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट X पर कुछ इस तरह की टिप्पणी की, 'लार्जकैप का टाइम आ गया।' इन निवेशकों ने 23 अक्टूबर को मिडकैप और स्मॉलकैप में गिरावट के बाद अपने पोर्टफोलियो में 4-5-6 पर्सेंट की गिरावट का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया है। कमजोर ग्लोबल रुझानों के बीच मिडकैप के मुकाबले लार्जकैप शेयरों की परफॉर्मेंस बेहतर रहने की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं।
निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स (Nifty Midcap 100 index) तकरीबन 2.66 पर्सेंट की गिरावट के साथ 38,817.35 पर बंद हुआ। हालांकि, निफ्टी 50 में अपेक्षाकृत कम यानी 1.3 पर्सेंट की गिरावट के साथ 19,281.75 पर बंद हुआ। स्टैलियन एसेट मैनेजमेंट के अमित जेसवानी (Amit Jeswani) का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों से ग्लोबल लेवल पर मैक्रो इकनॉमिक मोर्चे पर जोखिम मौजूद हैं और बाजार में गिरावट आनी तय थी।
मार्च के बाद बाजार के रफ्तार पकड़ने के बाद मिडकैप्स की परफॉर्मेंस लार्जकैप शेयरों के मुकाबले बेहतर रही है। इस दौरान निफ्टा 50 ( Nifty 50) में 13 पर्सेंट की बढ़ोतरी रही, जबकि निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स में 32% का उछाल रहा।
संबंधित अवधि में मिडकैप का वैल्यूएशन काफी ऊपर पहुंच गया। मार्च में निफ्टी मिडकैप का प्राइस टू अर्निंग रेशियो, निफ्टी 50 के मुकाबले 6 पर्सेंट प्रीमियम पर था। अब यह 12 पर्सेंट प्रीमियम पर है। लिहाजा, कई बड़े फंड मैनेजर लार्जकैप शेयरों में फिर से आवंटन करने का विकल्प चुन रहे हैं। मिसाल के तौर पर प्रशांत जैन ने जब इस साल के शुरू में 3पी इंडिया इक्विटी फंड शुरू किया था, तो उनके पास स्मॉल और मिडकैप स्टॉक्स का मिला-जुला पोर्टफोलियो था। हालांकि, अब उनके पोर्टफोलियो में ज्यादातर लार्जकैप शेयर हैं, मसलन HDFC बैंक, ICICI बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा ( Mahindra & Mahindra), मारुति सुजुकी और एलएंडटी (L&T)।
जैन ने मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में कहा, 'स्मॉल और मिडकैप स्टॉक्स ने हाल में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है और ऐसे में वास्तविक ग्रोथ के अनुमान वाले स्टॉक्स का चुनाव करना काफी मुश्किल होता जा रहा है। हम अब अपने सारे निवेश लार्जकैप में कर रहे हैं।'
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