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CNG और पाइप्ड गैस की कीमतें घटेंगी, जानिए प्राइसिंग फॉर्मूले में क्या बदलाव होने जा रहा है

कोरोना की महामारी के दौरान गैस की ग्लोबल कीमतें बहुत घट गई थीं। लेकिन, पिछले साल यूक्रेन पर रूस के हमले शुरू होने के बाद कीमतों में उछाल आया। इससे गैस की घरेलू कीमतें भी बहुत बढ़ गईं। इस बारे में सिफारिश देने के लिए सरकार ने फिर किरीट पारिख समिति बनाई

अपडेटेड Apr 07, 2023 पर 2:26 PM
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पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले शुरू होने का असर गैस की ग्लोबल कीमतों पर पड़ा। रूस गैस का एक बड़ा उत्पादक देश है। इसलिए उस पर प्रतिबंध लगने के बाद उसका निर्यात रुक गया। इससे गैस की ग्लोबल सप्लाई घट गई।

CNG इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। दिल्ली में इसकी कीमत जल्द घटने जा रही है। यह 79.56 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 73.59 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ जाएगी। PNG की कीमत 53.59 रुपये प्रति हजार घन मीटर से घटकर 47.59 रुपये प्रति हजार घन मीटर पर आ जाएगी। मुंबई में सीएनजी प्राइस 87 रुपये से घटकर 79 रुपये हो जाएगा। PNG का प्राइस 54 रुपये से घटकर 49 रुपये पर आएगा। इसकी वजह किरीट पारिख कमेटी की सिफारिशें हैं। सरकार ने 6 अप्रैल को इसे मंजूरी दे दी है। कमेटी ने हाल में गैस की ग्लोबल कीमतों में उछाल से ग्राहकों को राहत देने की सिफारिशें दी थी।

किरीट पारिख कमेटी की सिफारिश

किरीट पारिख कमेटी ने ओल्ड ब्लॉक्स से उत्पादित गैस की कीमतों को घटाकर 6.5 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट्स करने की सिफारिश की  थी। यह कीमत इंडिस्ट्रयल बायर्स और फर्टिलाइजर्स एवं सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर की कंपनियों के लिए होगी। इस पर मासिक आधार पर टैक्स लगेगा।


50 फीसदी गैस आयात करता है इंडिया

इंडिया अपनी जरूरत की 50 फीसदी गैस का आयात करता है। इसे LNG के रूप में आयात किया जाता है। बाकी 50 फीसदी का उत्पादन घरेलू कंपनियां करती हैं। इनमें ONGC, Oil India और Reliance Industries शामिल हैं। इंडियन मार्केट में बिकने वाली ज्यादातर गैस की कीमतें मार्केट की स्थितियों के मुताबिक तय होती है। लेकिन इसमें एक कमेटी की तरफ से तैयार प्राइसिंग फॉर्मूला का भी हाथ होता है। देश में उत्पादित गैस की कीमतों को दो हिस्सों में बांट दिया गया है। पहले को APM गैस कहा जाता है, जबकि दूसरे को Non-APM या फ्री-मार्केट गैस कहा जाता है। APM गैस का प्राइस एक फॉर्मूला के आधार पर तय होता है।

कोरोना के दौरान कीमतें बहुत गिर गई थीं

कोविड-19 महामारी के दौरान दुनियाभर में गैस की कीमतों में बड़ी गिरावट आई थी। इसके चलते इसकी घरेलू कीमत भी घटकर 1.79 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू पर आ गई थी। यह ओएनजीसी और ऑयल इंडिया जैसी कंपनियों के लिए अच्छी खबर नहीं थी। लेकिन, यह उन कंपनियों के लिए अच्छी खबर थी, जो LNG का इस्तेमाल कर CNG और PNG बनाती हैं, जिसका इस्तेमाल हम करते हैं।

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद गैस की कीमतों में उछाल

पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले शुरू होने का असर गैस की ग्लोबल कीमतों पर पड़ा। रूस गैस का एक बड़ा उत्पादक देश है। इसलिए उस पर प्रतिबंध लगने के बाद उसका निर्यात रुक गया। इससे गैस की ग्लोबल सप्लाई घट गई। इस वजह से दुनियाभर में गैस की कीमतें उछल गईं। अमेरिका और इंग्लैंड में कीमतें रिकॉर्ड ऊंचे लेवल पर पहुंच गईं। एक समय अमेरिका में गैस की कीमत 10 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू पहुंच गई थी। इंग्लैंड में कीमत अप्रैल से अगस्त 2022 के बीच तीन गुनी हो गई।

इंडिया में भी कीमतों में उछाल

इसका असर इंडिया में भी गैस की कीमतों पर पड़ा। अक्टूबर से मार्च 2023 के दौरान गैस प्राइस 8.57 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू था, जो ग्लोबल प्राइसेज का एवरेज था। घरेलू गैस डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों ने इसका बोझ ग्राहकों पर डालने शुरू कर दिए। 2022 में मुंबई में CNG का प्राइस 49.40 रुपये प्रति किलोग्राम से बढञकर 89.50 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया। दूसरे शहरों में भी कीमतों में इसी तरह की वृद्धि देखने को मिली। इसके चलते उत्पादन के लिए गैस का इस्तेमाल करने वाली कई सेरामिक कंपनियां बंद तक हो गईं।

सरकार ने बनाई किरीट पारिख कमेटी

गैस की कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर सरकार ने किरीट पारिख कमेटी का गठन किया। इसे गैस की कीमतें तय करने के तरीके में बदलाव करने को कहा गया। कमेटी ने लिजेसी फील्ड्स से उत्पादित गैस के लिए एक प्राइस बैंड के इस्तेमाल की सलाह दी। देश में उत्पादित नेचुरल गैस में लिजेसी फील्ड्स की हिस्सेदारी दो-तिहाई है। इसका मकसद यह था कि गैस का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को उसकी संभावित कीमत के बारे में अंदाजा मिल जाए।

लिजेसी फील्ड्स से उत्पादित गैस को सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों को बेचा जाता है, जिन्होंने कीमतें चढ़ने के बाद सीएनजी और पाइप्ड कुकिंग गैस की कीमतें 70 फीसदी से ज्यादा बढ़ा दी थीं। अब पारिख कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी मिल जाने के बाद गैस की नई कीमत इंडिया की तरफ से आयातित क्रूड ऑयल बास्केट की 10 फीसदी होगी। यह क्रूड प्राइसेज के आधार पर हर महीने निर्धारित होगा।

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