Haryana Property: अगर आप हरियाणा में प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं तो थोड़ा इंतजार कर लीजिए या फैसला फटाफट ले लीजिए। 1 अगस्त 2025 से राज्य में जमीन की रजिस्ट्री पहले से महंगी हो जाएगी। हरियाणा सरकार ने पूरे राज्य में कलेक्टर रेट यानी सर्किल रेट बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मंजूरी के बाद अब ये नए रेट लागू किए जाएंगे, जिनमें 5% से 25% तक की बढ़ोतरी की गई है।
गुरुग्राम, फरीदाबाद, बल्लभगढ़ जैसे दिल्ली से सटे इलाकों में इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, जहां प्रॉपर्टी की कीमतें पहले ही ऊंची हैं। बढ़े हुए कलेक्टर रेट का मतलब है, अब रजिस्ट्री फीस और स्टांप ड्यूटी ज्यादा देनी होगी, जिससे घर या प्लॉट खरीदने का खर्च और बढ़ जाएगा।
हरियाणा सरकार ने राज्यभर में कलेक्टर रेट यानी सर्किल रेट बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और अब 1 अगस्त 2025 से नए रेट लागू हो जाएंगे। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, रेट में 5% से लेकर 25% तक की बढ़ोतरी की गई है, जो अलग-अलग जिलों और इलाकों की बाजार स्थिति पर आधारित होगी।
दिल्ली से सटे गुरुग्राम, फरीदाबाद और बल्लभगढ़ जैसे शहरों में इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। यहां पहले ही रियल एस्टेट की कीमतें ऊंची हैं, और अब कलेक्टर रेट बढ़ने के कारण रजिस्ट्री फीस और अधिक देनी होगी। इससे घर खरीदारों और निवेशकों की जेब पर असर पड़ेगा। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद अब नई रजिस्ट्रेशन अपॉइंटमेंट्स फिलहाल रोकी गई हैं। केवल वही लोग, जिन्होंने पुरानी तारीखों में अपॉइंटमेंट बुक कर रखी थी, वो ही पुरानी दरों पर रजिस्ट्री करा पाएंगे। बाकी को नई दरों के हिसाब से रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
कलेक्टर रेट या सर्किल रेट किसी इलाके में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की न्यूनतम कीमत होती है। सरकार इसी आधार पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस तय करती है। हालांकि, बाजार मूल्य इससे अधिक या कम हो सकता है, लेकिन रजिस्ट्री कलेक्टर रेट से कम कीमत पर नहीं हो सकती।
चुनावों के चलते दो बार टली थी बढ़ोतरी
हर साल 1 अप्रैल को कलेक्टर रेट रिवाइज होते हैं, लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनावों के कारण 2024 में इसे दिसंबर में संशोधित किया गया था। इसके बाद अप्रैल 2025 की बढ़ोतरी भी टाल दी गई थी, जिसे अब लागू किया जा रहा है। हरियाणा की वित्त आयुक्त सुमिता मिश्रा ने पहले ही इस बदलाव का संकेत दे दिया था। सरकार ने जनता से सुझाव और आपत्तियां भी मांगी थीं, जिसके बाद 30 जुलाई को अंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई।