कहां से शुरू हुई पितृपक्ष में चींटियों को आटा खिलाने की परंपरा, जानिए इसके पीछे की विधि
पितृपक्ष में चींटियों को आटा खिलाना न सिर्फ एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह करुणा और श्रद्धा का प्रतीक भी माना जाता है। मान्यता है कि इस छोटे-से कार्य से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
Image Credit: istock
7 सितंबर यानी आज से पितृपक्ष आरंभ हो चुका है। इस समय पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व माना जाता है।
Image Credit: istock
पितृपक्ष में घरों में पितरों का प्रिय भोजन बनाया जाता है और इसे पशु-पक्षियों को खिलाना श्रेष्ठ माना गया है।
Image Credit: istock
मान्यता है कि जब हम जानवरों और पक्षियों को भोजन देते हैं, तो वह अन्न पितरों तक भी पहुंचता है और उनकी आत्मा को संतुष्टि मिलती है।
Image Credit: istock
पितृपक्ष के दौरान चींटियों को आटा खिलाने की खास परंपरा है, जिसे परिवार की सुख-समृद्धि और पितरों की तृप्ति से जोड़ा गया है।
Image Credit: istock
कहा जाता है कि चींटियों को आटा डालने से पितरों की आत्मा को शांति और तृप्ति मिलती है, जिससे घर में सकारात्मकता आती है।
Image Credit: istock
पितृपक्ष में आटा और शक्कर मिलाकर छोटी गोलियां बनाकर चींटियों को खिलाना शुभ माना जाता है।
Image Credit: istock
पुराणों में मान्यता है कि यदि पितर अधोलोक में हों, तो ये चींटियां उनके पास भोजन पहुंचाती हैं।
Image Credit: istock
श्राद्ध का खाना बनाते समय थोड़ा सा आटा अलग निकाल लें और उसे आंगन या खुली जगह में चींटियों के लिए रख दें।