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by Roopali Sharma | AUG  07,  2025

ये है आसमान में लहराते तिरंगे के शान की कहानी!

1906 से 1947 तक इंडियन नेशनल फ्लैग में कई बदलाव हुए, जो स्वतंत्रता आंदोलन के समय भारत के बदलते एस्पिरेशंस और यूनिटी के रूप में बदलें.

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पहला इंडियन फ्लैग 7 अगस्त, 1906 को कोलकाता में फहराया गया था। इसमें तीन क्षैतिज पट्टियां थीं- लाल, पीली और हरी.

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1906 का ध्वज

इसमें 5 लाल और 4 हरी पट्टियां थीं, और ऊपरी बाएं कोने में (यूनियन जैक) और एक सफेद क्रिसेंट और तारा था.

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1917 का ध्वज

गांधी जी ने चरखे को फ्लैग में शामिल करने का सुझाव दिया था.

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चरखे को शामिल

पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया, यह ध्वज लाल और हरे रंग की पट्टियों से बना था, और बीच में एक चरखा था.

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1921 का ध्वज

लाल रंग को केसरिया रंग से बदल दिया गया, और चरखे को केंद्र में रखा गया.

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1931 का ध्वज

22 जुलाई, 1947, करेंट फ्लैग को अपनाया, जिसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टियाँ थीं, और सफेद पट्टी के बीच में अशोक चक्र था.

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1947 का ध्वज

चरखे को अशोक चक्र से बदल दिया गया, जो धर्म और कानून का प्रतीक था.

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अशोक चक्र

केसरिया रंग साहस और बलिदान का, सफेद रंग शांति और सत्य का, और हरा रंग उर्वरता और जीवन का प्रतीक है.

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रंगों का अर्थ

इंडियन नेशनल फ्लैग स्वतंत्रता, एकता और गौरव का प्रतीक है.

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ध्वज का महत्व

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