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इन जनजाति के कारण देश में ‘जहर’ से बन रही ‘वैक्सीन’
by Roopali Sharma | mar 22, 2025
भारत में हर साल सांप के काटने से मरने वाले लोगों की संख्या 81,000 से लेकर 1,38,000 तक होती है. और एकमात्र ऐसी चीज जो मौत को रोक सकती है
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वह है शक्तिशाली एंटीवेनम. क्या आप जानते हैं कि भारत के एंटीवेनम स्टॉक का एक बड़ा हिस्सा तमिलनाडु की एक जनजाति से जुड़ा है
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देश में इरूला जनजाति के लोग सांपों से खेलते हैं. इसी समूह के दो लोगों वडिवेल गोपाल और मासी सदाइयां को भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा है
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यही लोग सांप का जहर निकालकर वैज्ञानिकों की मदद से उसका पाउडर बनाते हैं और फिर यही पाउडर दवा कंपनियां उनसे खरीद कर सांप काटने से बचाव का टीका बनाती हैं
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साल 1978 में शुरू किया गया यह प्रयास और कारगर हो गया जब सरकार ने इस समिति को सांप का जहर निकालने और उसे दवा कंपनियों को बेचने के लिए अधिकृत कर दिया
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रोमुलस का प्रयास रंग लाया और उन्हें रोजगार का साधन मिल गया. शुरू में इस समिति से सिर्फ 11 इरूला जुड़े थे लेकिन अब इनकी संख्या लगभग 350 है
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रिपोर्ट के अनुसार, सहकारी समिति के पास एक बार में लगभग 800 साँपों को रखने का आधिकारिक लाइसेंस है
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समुदाय प्रत्येक साँप को 21 दिनों तक अपने पास रखता है, जिसके दौरान चार बार ज़हर निकाला जाता है
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साँपों को जंगल में छोड़ने से पहले, उनके पेट के तराजू पर एक निशान बनाया जाता है. इससे उसी साँप को दोबारा पकड़े जाने से रोका जा
सकता है
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