
डिकिंसोनिया के पास सिर, पैर या हाथ नहीं थे। उसका शरीर अंडे जैसा था और इस पर लाइनें बनी होती थीं। ये किसी भी आज के जानवर से बिल्कुल अलग दिखता था।
इस अनोखे जीव के जीवाश्म (fossils) रूस की एक चट्टान पर मिले। ये चट्टानें बहुत ऊंची और सुनसान जगह पर थीं। वहां इसकी आकृति बहुत अच्छे से पत्थरों में बनी हुई थी।
वैज्ञानिकों को डिकिंसोनिया के शरीर में कोलेस्ट्रॉल मिला। कोलेस्ट्रॉल एक तरह की चर्बी है जो सिर्फ जानवरों के शरीर में पाई जाती है। इससे यह साबित हुआ कि डिकिंसोनिया कोई पौधा या फफूंदी नहीं, बल्कि एक जानवर था।
यह जीव एडिएकेरन समय का था, जो डायनासोर से भी बहुत पहले आया था। इस समय के जीवों को समझना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि उनके शरीर के कोई साफ हिस्से नहीं होते।
डिकिंसोनिया के शरीर में कोई आँख, मुंह या पेट जैसी चीजें नहीं थीं। इसका शरीर बहुत साधारण था, फिर भी यह ज़िंदा था और खाने-पीने के लिए ज़रूर कोई तरीका रहा होगा।
वैज्ञानिकों को यह Fossil पाने के लिए 100 मीटर ऊंची चट्टानों से लटकना पड़ा। उन्होंने बहुत मेहनत से भारी पत्थर काटकर इन Fossils को निकाला।
पहले माना जाता था कि स्पंज या जेलीफिश पहले जानवर थे, लेकिन इनके Fossils साफ नहीं मिल पाए। डिकिंसोनिया की खोज से यह कन्फर्म हो गया कि यह सबसे पुराना जानवर है।
इस खोज से हमें यह समझने में मदद मिली कि जानवरों का विकास कैसे शुरू हुआ और जीवन सबसे पहले किस रूप में धरती पर आया।
अब वैज्ञानिक और भी Fossils में ऐसे ही अणुओं (molecules) को ढूंढ़ेंगे, जिससे धरती के सबसे पुराने जीवों और उनके विकास की नई कहानियां सामने आएंगी।