Budget 2024 : साल 2023 में देश के सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री 4.77 लाख यूनिट्स रही। नए लॉन्च घरों की बिक्री करीब 4.46 लाख यूनिट्स पहुंच गई। लेकिन कुल बिक्री में सस्ते घरों की बिक्री घटकर 20 फीसदी पर आ गई। कोरोना से पहले यह हिस्सेदारी 40 फीसदी थी। एनारॉक ने यह अनुमान जताया है। ऐसे में सस्ते घरों की बिक्री बढ़ाने के लिए उपाय करने की जरूरत है। एप्रूवल और कंपलिशन सर्टिफिकेट्स में देरी की वजह से रियल एस्टेट कंपनियों की कॉस्ट बढ़ रही है। म्युनिसिपल एजेंसियों को फाइनेंशियल इनसेंटिव से स्थिति में सुधार आ सकता है। अगर रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटीज (RERAs) को म्यूनिसिपल एप्रूवल और कंपलिशन ऑर्डर का नियंत्रण दिया जाता है तो रियल एस्टेट कंपनियों को समय पर एप्रूवल और कंपलिशन सर्टिफिकेट मिल सकता है। रियल एस्टेट को वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman के अंतरिम बजट से काफी उम्मीदें हैं। वित्तमंत्री 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी।
बजट 2024 में टैक्स में कमी का हो सकता है ऐलान
इंडिया में रियल एस्टेट पर लगने वाला टैक्स दुनिया में सबसे ज्यादा है। अंतरिम बजट 2024 में मिडिल इनकम हाउसिंग को सामाजिक लक्ष्य घोषित किया जा सकता है। कंस्ट्रक्शन मैटेरियल्स पर टैक्स में कमी के साथ ही राज्य और शहर के टैक्स में कमी करने से घरों की कीमतों में कमी आएगी। सस्ते घरों की मांग में कमी आने की एक वजह यह है कि अभी इनकी सप्लाई नहीं है। अगर सस्ते घरों के हाउसिंग लोन पर इनसेंटिव का ऐलान किया जाता है तो इससे ऐसे घरों की मांग बढ़ेगी।
सस्ते घरों के लिए कम इंटरेस्ट वाली होम लोन की सुविधा जरूरी
सप्लाई के मोर्चे पर स्थिति में सुधार करने के लिए 45 लाख रुपये तक के घर के लिए कम इंटरेस्ट में होम लोन की सुविधा शुरू की जा सकती है। ऐसे घरों के लिए लोन देने वाले बैंकों या एनबीएफसी को इनसेंटिव दिया जाना चाहिए। इससे होम लोन देने वाले कंपनियों के लिए सस्ते घरों के लिए लोन देना अट्रैक्टिव हो जाएगा। सस्ते घरों की उपलब्धता तभी बढ़ेगी जब यह सेगमेंट प्राइवेट सेक्टर के लिए फायदेमंद होगा। स्टडी से पता चलता है कि कम से कम 65 फीसदी लाभार्थी घर नहीं खरीदना चाहते बल्कि वे अपने ऑफिस या कामकाज की जगह के नजदीक बुनियादी सुविधा वाले घर में रहना चाहते हैं।
रेंटल स्कीम को बढ़ावा देने की जरूरत
सरकार को सस्ते घरों की रेंटल स्कीम को बढ़ावा देने की जरूरत है। एंप्लॉयर्स को इस पर एंप्लॉयी को टैक्स छूट देना होगा। इससे मकानमालिकों को भी इनकम का अच्छा स्रोत उपलब्ध होगा। बड़े शहरों में कई इनवेस्टर्स ने कोरोना की महामारी के बाद पैसिव रेंटल इनकम के लिए रियल एस्टेट में निवेश करना शुरू किया है। अगर उन्हें कॉर्पोरेट्स की तरफ से नियमित रूप से इनकम होती हो तो इससे दोनों का फायदा होगा।