हो सकता है कि देश में छोटी कारों को फ्यूल एफिशिएंसी के नियमों में ढील मिल जाए। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में इंडस्ट्री और सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार ऐसे कदम पर विचार कर रही है। दरअसल मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki India) की ओर से उठाई गई मांग के बाद इस तरह की संभावना देखी जा रही है। SUV की बढ़ती मांग के चलते छोटी कारों की बिक्री में गिरावट आई है और इनका अस्तित्व बचाने के लिए कदम उठाना वक्त की मांग बनता जा रहा है।
वर्तमान में भारत के कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (CAFE) नियमों के तहत 3500 किलो से कम वजन की सभी कारों के लिए, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की मंजूर सीमा को कारों के वजन से जोड़ा गया है। रॉयटर्स के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित बदलाव के तहत 1,000 किलो से कम वजन वाली कारों के लिए उत्सर्जन की सीमा में राहत दी जाएगी। हालांकि अभी सटीक डिटेल्स का पता नहीं चला है।
मारुति के लिए क्यों अहम हैं छोटी कारें
छोटी कारों को लेकर मारुति की चिंता जायज भी है क्योंकि देश में कंपनी की कामयाबी में छोटी कारों का बड़ा हाथ रहा है। इसकी कुल बिक्री में छोटी कारों का बड़ा हिस्सा रहा है। लेकिन अब ऑल्टो और वैगन-आर जैसी छोटी गाड़ियों की मांग में गिरावट है। इसके चलते मारुति सुजुकी की कुल बिक्री में इन कारों का योगदान पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में 50% से भी कम रह गया। दो साल पहले यह लगभग दो-तिहाई था। वित्त वर्ष 2025 में कंपनी ने 17 लाख गाड़ियों की बिक्री की। रॉयटर्स के मुताबिक, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि भारत सरकार भी सस्ती और छोटी कारों की गिरती बिक्री को लेकर चिंतित है।
मारुति ने हाल ही में तर्क दिया कि अगर छोटी कारों की बिक्री में गिरावट जारी रही, तो पैसेंजर व्हीकल मार्केट की ओवरऑल ग्रोथ पर असर पड़ेगा। इसलिए छोटी कारों के लिए ज्यादा अनुकूल ईंधन उत्सर्जन (फ्यूल एमिशन) नियमों की जरूरत है। अधिकारी का कहना है कि छोटी कारों को ज्यादा फायदा मिलना चाहिए। मारुति ऐसी मांग कर रही है और हम इससे सहमत हैं। फिलहाल, कंपनियों को मौजूदा नियमों के तहत पेनल्टी से बचने के लिए कम-उत्सर्जन यानि लो एमिशन वाले व्हीकल्स मुख्यत: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का एक निश्चित प्रतिशत बेचना होता है।
नियमों में ढील से सबसे ज्यादा फायदा मारुति को
छोटी कारों के लिए नियमों में ढील का मतलब यह होगा कि उन्हें इलेक्ट्रिक बनाने का दबाव कम होगा। इससे उन कंपनियों को फायदा होगा, जिनके पोर्टफोलियो में अधिकतर छोटी कारें हैं। मारुति सुजुकी इंडिया की बात करें तो इसके 17 में से 10 कार मॉडल 1,000 किलो से कम वजन वाले हैं। अगर सरकार छोटी कारों को फ्यूल एफिशिएंसी नियमों में ढील देती है तो इससे कंपनी को सबसे अधिक फायदा हो सकता है। हुंडई मोटर, JSW MG मोटर, रेनो और टोयोटा मोटर जैसी अन्य कंपनियों की भी एक-एक छोटी कारें बाजार में हैं।