Tariff war : सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक केन्द्रीय मंत्रिमंडल आज माइक्रो,स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज (MSMEs) के लिए वित्तीय सहायता पैकेज को मंजूरी दे सकता है,ताकि उन्हें हाई अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव का मुकाबला करने में मदद मिल सके। मंत्रिमंडल आज क्रेडिट फेसिलिटी उपायों को भी मंजूरी दे सकता है। इसके जरिए MSMEs ऋणों के लिए सरकार द्वारा बढ़ी हुई ऋण-गारंटी प्रदान की जाएगी। सरकार श्रम-प्रधान सेक्टरों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपाय करना चहती है।
50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले सेक्टरों में टेक्सटाइल,परिधान, रत्न एवं आभूषण, चमड़ा एवं जूते, रसायन आदि हैं। 28 अगस्त को, मनीकंट्रोल ने बताया था कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित एक्सपोर्ट प्रोमोशन मिशन के तहत 25,000 करोड़ रुपये के सहायता पैकेज की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य सस्ते कर्ज प्रदान करना,निर्यात के लिए बेहतर बाजार पहुंच प्रदान करना और हाई टैरिफ के प्रतिकूल प्रभाव से बचाव करना है।
एक सीनियन ऑफीसर ने मनीकंट्रोल को यह भी बताया था कि केंद्र सरकार ट्रंप के टैरिफ से प्रभावित MSMEs के कर्मचारियों के लिए 'डायरेक्ट इन्कम सपोर्ट' पर विचार कर रही है। इस ऑफीसर ने मनीकंट्रोल को बताया था कि इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि प्रोत्साहन राशि का निर्धारम कैसे किया जाए, इसे कैसे लागू किया जाए और कितनी राशि प्रदान की जाए।
मनीकंट्रोल ने 12 अगस्त को यह भी बताया था कि भारतीय रिजर्व बैंक इस महीने के अंत तक या सितंबर की शुरुआत में क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत माइक्रो और लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए कोलेटरल-फ्री लोन की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर सकता है।
पिछले हफ़्ते, भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (FIEO) के प्रतिनिधित्व वाले निर्यातकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और उन्हें टैरिफ़ में वृद्धि के बाद उत्पन्न चुनौतियों से अवगत कराया।
FIEO ने निर्यातक समुदाय की तात्कालिक चिंताओं के बारे में बात की। FIEO के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि निर्यातकों पर टैरिफ़ के दबाव को कम करने के लिए तुरंत और सुनियोजित उपाय करने की आवश्यकता है।