दिल्ली में अभिभावकों के लिए राहत की खबर है। अब स्कूल उन्हें किसी खास दुकान या विक्रेता से यूनिफॉर्म और किताबें खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकेंगे। दिल्ली सरकार ने इस मनमानी पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए आदेश जारी करने के निर्देश दिए हैं, जिससे अभिभावकों को अपनी पसंद की दुकान से खरीदारी का विकल्प मिलेगा। सरकार का यह फैसला उन शिकायतों के बाद आया है, जिनमें स्कूलों पर जबरन महंगी किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने का दबाव बनाने के आरोप लगे थे।
नए आदेश के तहत स्कूलों को कम से कम पांच दुकानों की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी, जिससे अभिभावकों को ज्यादा विकल्प मिलें। इसके साथ ही, स्कूल अब तीन साल तक यूनिफॉर्म में बदलाव नहीं कर सकेंगे।
स्कूलों की जबरदस्ती अब दंडनीय अपराध
सरकार का आदेश साफ है—यदि कोई स्कूल अभिभावकों पर किसी खास विक्रेता से किताबें या यूनिफॉर्म खरीदने का दबाव डालता है, तो इसे दंडनीय अपराध माना जाएगा। यह नियम 1 अप्रैल से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से पहले लागू हो जाएगा।
यूनिफॉर्म में तीन साल तक बदलाव नहीं कर सकेंगे स्कूल
बच्चों के माता-पिता को बार-बार नए खर्चों से बचाने के लिए सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि कोई भी स्कूल तीन साल तक अपनी यूनिफॉर्म में बदलाव नहीं कर पाएगा। इससे अभिभावकों को हर साल नई यूनिफॉर्म खरीदने की परेशानी से मुक्ति मिलेगी।
शिकायतों के लिए हेल्पलाइन और ई-मेल जारी होंगे
दिल्ली सरकार एक हेल्पलाइन नंबर और ई-मेल आईडी जारी करेगी, जहां अभिभावक अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। साथ ही, स्कूलों को यह भी आदेश दिया गया है कि वे कम से कम पांच अलग-अलग दुकानों के पते और संपर्क विवरण सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करें, ताकि माता-पिता के पास खरीदारी के कई विकल्प मौजूद हों।
दिल्ली सरकार करेगी स्कूलों की समीक्षा
दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने ऐलान किया कि सरकार राजधानी में स्कूलों की स्थिति पर एक ऐक्शन रिपोर्ट तैयार करेगी। इससे उन स्कूलों की पहचान होगी, जहां बुनियादी ढांचे की हालत खराब है और उन्हें सुधारने की जरूरत है।
भाजपा विधायकों ने उठाए सवाल
विधानसभा में कई विधायकों ने स्कूलों की खराब स्थिति पर चिंता जताई:
अरविंदर सिंह लवली (गांधी नगर विधायक) – ब्रह्मपुरी मेन रोड के एक स्कूल की जर्जर स्थिति उजागर की।
कुलवंत राणा (रिठाला विधायक) – दो साल में ही गिर चुकी स्कूल की छत पर सवाल उठाए।
ओपी शर्मा (विश्वास नगर विधायक) – 1993-98 के बीच बने ‘प्रतिभा स्कूलों’ को फिर से खोलने की मांग की।
स्कूलों की बदहाली पर आएगी रिपोर्ट
सरकार ने आश्वासन दिया है कि स्कूलों की स्थिति की पूरी जानकारी जुटाकर सदन में प्रस्तुत की जाएगी। यह रिपोर्ट तय करेगी कि किन स्कूलों को मरम्मत की जरूरत है और किन्हें फिर से शुरू किया जाना चाहिए।
अब शिक्षा में पारदर्शिता और सुविधा
दिल्ली सरकार का यह कदम न केवल शिक्षा को सुलभ बनाएगा, बल्कि अभिभावकों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को भी कम करेगा। इससे छात्रों को भी बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और शिक्षा व्यवस्था पहले से अधिक पारदर्शी होगी।