बिहार में चुनावी हलचल तेज होते ही राजद खेमे में देर रात बड़ा बदलाव देखने को मिला। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार शाम जिन नेताओं को पार्टी का चुनाव चिन्ह दिया गया था, उन्हें रात में फोन कर वह चिन्ह वापस करने के लिए कहा गया। इसी बीच, दिल्ली से लौटे लालू प्रसाद यादव के 10, सर्कुलर रोड स्थित आवास के बाहर टिकट चाहने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी नेतृत्व से फोन मिलने के बाद कुछ उम्मीदवार अंदर गए और पीले लिफाफे लेकर बाहर निकले, जिनसे पार्टी की टिकट संबंधी दिशा का अंदाजा लगाया जा रहा है।
आरजेडी में हाइवोल्टेज ड्रामा
आखिरी वक्त पर राजद में बड़ा ड्रामा देखने को मिला, जब पार्टी का चुनाव चिन्ह पाने वाले नेताओं को तेजस्वी यादव के दिल्ली से लौटने के कुछ घंटों बाद ही उसे वापस करने के निर्देश दिए गए। एनडीटीवी के मुताबिक, उसी शाम जिन नेताओं को चिन्ह मिला था, उन्हें फिर बुलाकर कहा गया कि वे अपने आवास पर आकर उसे लौटा दें। हालांकि, उन्हें यह नहीं बताया गया कि पार्टी ने अचानक ऐसा फैसला क्यों लिया। कुछ नेताओं ने दावा किया कि किसी को भी असल में चिन्ह नहीं मिला था और सोशल मीडिया पर फैल रही तस्वीरें एआई से बनाई गई थीं।
बता दें कि, फिलहाल राजद और कांग्रेस वाली महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। दूसरे ओर आखिरी चरण के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि कितने उम्मीदवारों को पार्टी का टिकट मिला है। वहीं, पहले चरण के नामांकन के लिए अब केवल चार दिन ही बचे हैं।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब महागठबंधन ने अभी तक सीटों के बंटवारे की औपचारिक घोषणा नहीं की है। कांग्रेस और राजद के बीच सीटों को लेकर मतभेद की खबरें भी सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव नहीं चाहते कि कांग्रेस 243 सीटों वाली विधानसभा में 54 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े, जबकि कांग्रेस अब तक मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर भी कोई फैसला नहीं कर पाई है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ एनडीए ने रविवार (12 अक्टूबर) को सीट बंटवारे की घोषणा कर दी, जिसमें जेडी(यू) और भाजपा 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि बाकी सीटें छोटे सहयोगियों के लिए छोड़ी गई हैं।
कई विधायकों को मिला था सिंबल
हाल ही में जदयू छोड़ने वाले सुनील सिंह (परबत्ता) और मटिहानी से कई बार विधायक रह चुके नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सहित कुछ प्रमुख नेताओं को राजद का चुनाव चिन्ह दिया गया था। उनकी उम्मीदवारी को तेजस्वी यादव की उस रणनीति के रूप में देखा जा रहा था, जिसके तहत वे भूमिहार समुदाय के एक वर्ग को अपने साथ जोड़ना चाहते थे। भूमिहार पारंपरिक रूप से भाजपा और एनडीए का समर्थन करने वाला एक प्रभावशाली उच्च जाति समूह माना जाता है। इसके अलावा, राजद के कई मौजूदा विधायक 'भाई वीरेंद्र, चंद्रशेखर यादव (मधेपुरा) और इसराइल मंसूरी (कांटी) ' भी लालू प्रसाद यादव के आवास से पार्टी का चुनाव चिन्ह लेकर बाहर निकले।