बिहार में इस बार NDA गठबंधन के सामने सत्ता-विरोधी लहर है। हालांकि, सत्ता में वापसी के लिए वो इससे बचने की हर संभव कोशिश कर रहा है, लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि इसबार उसने 2020 चुनाव के उम्मीदवारों पर ही फिर से विश्वास जताने की कोशिश है। इनमें से कुछ तो वे भी शामिल हैं, जो हार गए थे। सत्तारूढ़ NDA में इस बार BJP, JDU, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) शामिल हैं। 2020 में, अविभाजित LJP और RLM NDA का हिस्सा नहीं थे, जबकि विकासशील इंसान पार्टी (VIP), जो अब महागठबंधन में है, NDA की सहयोगी थी।
कुल मिलाकर, NDA ने 114 नए उम्मीदवार उतारे हैं और 129 को दोबारा टिकट दिया है, जिनमें 37 ऐसे उम्मीदवार भी शामिल हैं, जो पिछली बार हार गए थे। BJP ने 2020 की तुलना में इस बार 35 नए चेहरे उतारे हैं, जबकि 66 पुराने उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
BJP की ओर से दोहराए गए 66 उम्मीदवारों में से 54 पिछली बार जीते थे। दूसरे शब्दों में, पार्टी ने 2020 में 74 सीटें जीतने वाले अपने 20 विजयी उम्मीदवारों को मैदान से बाहर कर दिया है, जबकि 12 ऐसे उम्मीदवारों को फिर से उतारा है, जो हार गए थे।
NDA के दूसरे सबसे बड़े सहयोगी, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली JDU ने जितने उम्मीदवार दोहराए हैं, उतने ही नए उम्मीदवार भी उतारे हैं, 51 नए और 50 पुराने उम्मीदवार। दोबारा मैदान में उतरे उम्मीदवारों में 2020 के 43 विजेताओं में से 33 और पिछली बार हारे हुए 17 उम्मीदवार शामिल हैं। इस बार BJP और JDU दोनों 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।
2020 के उलट इस बार LJP (RV) ने 21 और RLM 4 नए उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जो इस बार NDA का हिस्सा हैं।
चिराग पासवान के नेतृत्व वाली LJP (रामविलास) इस बार 29 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि पिछली बार अविभाजित LJP के रूप में चुनाव लड़ने पर उसे 143 सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ा था।
2020 में उसे सिर्फ 1 सीट मिली थी, लेकिन माना जा रहा है कि उसने JDU के कई उम्मीदवारों की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया था। बाद में, उसका एकमात्र विधायक JDU में शामिल हो गया।