बिहार में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के भीतर राजनीतिक तनाव उभरने लगा है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि वह अपमानित महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उनके लोगों की लंबे समय से उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर उनकी पार्टी को कम से कम 15 सीटें नहीं मिलीं, तो वह आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
मांझी ने कहा, "अगर हमें 15 सीटें नहीं मिलीं, तो हम चुनाव नहीं लड़ेंगे। मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं, और हमारे लोगों की उपेक्षा की गई है। हमने हमेशा NDA का समर्थन किया है, अब यह तय करना उनका कर्तव्य है कि हमारा सम्मान हो। 15 सीटें हमें 8-9 सीटें जीतने में मदद करेंगी, लेकिन अगर नहीं, तो हम पार्टी की मान्यता हासिल करने के लिए 60-70 विधानसभा क्षेत्रों में अपने समर्थन का लाभ उठाने का अपना आखिरी विकल्प चुन सकते हैं। मुझे चिराग से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन कृपया हमें अपमान से बचाएं।"
मांझी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर रामधारी सिंह दिनकर की कविता 'कृष्ण की चेतावनी' की कुछ पंक्तियां लिख कर अपने एक संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने लिखा-
यदि उसमें भी कोई बाधा हो,
तो दे दो केवल '15' ग्राम,
बाद में एक बयान में, मांझी ने अपना रुख साफ करते हुए कहा, "सीटों के बंटवारे को लेकर हमारी तरफ से कोई विवाद नहीं है। हम केवल मान्यता प्राप्त सीटों की मांग कर रहे हैं, ताकि हमारी पार्टी को विधानसभा में आधिकारिक दर्जा मिल सके। अगर हम एक भी सीट पर चुनाव नहीं भी लड़ते हैं, तो भी हम NDA के साथ बने रहेंगे।"
मांझी क्यों मांग रहे हैं 15 सीट?
जैसा कि जीतन राम मांझी पहले ही कह चुके हैं उन्हें अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) को बिहार विधानसभा में 'आधिकारिक दर्जा' दिलाना है।
इस समय तक 'HAM (S)' बिहार विधानसभा/परिषद और लोकसभा में सदस्य होने के बावजूद मान्यता प्राप्त दल नहीं बन सकी है, इसलिए वो अभी तक गैर-आधिकारिक स्थानीए पार्टी की श्रेणी में ही है।
बिहार विधानसभा में किसी भी पार्टी को आधिकारिक दर्जा पाने के लिए कुछ पैमाने को पूरा करना होता है।
इतना ही नहीं जीतन राम मांझी ने यहां तक कह दिया है कि अगर उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती हैं, तो वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि, NDA का हिस्सा बने रहेंगे।