लगभग दो दशकों से मुख्यमंत्री के पद पर बैठे नीतीश कुमार और उनके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को मुख्य चुनौती राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले विपक्ष से मिल रही है, जो क्षेत्रीय पार्टी है और जिसका वोटर बेस मजबूत है। हालांकि, राजनीतिक दलों के समूह जो दो प्रमुख गठबंधनों के साथ जुड़े हैं, नवंबर के 6 और 11 तारीख को होने वाले मतदान को दिलचस्प बना रहे हैं। नए दल जन सुराज पार्टी (JSP), जिसे प्रशांत किशोर या पीके ने पिछले साल बनाया था, चुनावी प्रदर्शन को नया मोड़ देने की पूरी क्षमता रखता है।
करीब 10 सालों तक कई राजनीतिक दलों के रणनीतिकार और सलाहकार रहे किशोर ने अब चुनावी मैदान में कदम रखा है। चुनाव से पहले उन्होंने राजनीतिक जमीन तैयार की और 2 अक्टूबर 2024 को पार्टी लॉन्च की, जो उनकी 3000 किलोमीटर पैदल यात्रा के दो साल बाद हुआ।
परंपरागत राजनीति से अलग नई सोच और विचार
यह पार्टी बिहार के लगभग 7.42 करोड़ मतदाताओं को एक भरोसेमंद विकल्प के तौर पर सामने आई है, जो दोनों बड़े गठबंधनों- BJP/JDU वाले NDA और RJD नेतृत्व वाले महागठबंधन की परंपरागत राजनीति से अलग नई सोच और विचार लेकर आई है।
पिछले 25 सालों में बिहार में या तो RJD नेतृत्व वाले गठबंधन की सरकार रही (1990-2005) या 2005 से JDU के नेतृत्व वाले गठबंधन के हाथ में कमान रही। 2015-17 के बीच राज्य में नितीश कुमार ने RJD के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
अपने अनुभवों के आधार पर PK ने बिहार की राजनीतिक व्यवस्था को बदलने और अच्छे शासन और युवाओं के लिए रोजगार देने का वादा किया है। बिहार देश के सबसे राजनीतिक जागरूक राज्यों में से एक है, लेकिन सबसे ज्यादा पलायन वाला राज्य भी है, जहां कई लोग नौकरी की तलाश में बाहर जाते हैं।
JSP ने अपने प्रत्याशियों की भी ताकतवर और भरोसेमंद लिस्ट पेश की है। 239 उम्मीदवारों में डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, ग्रेजुएट और phd होल्डर शामिल हैं। इनकी औसत उम्र 50 साल है और जातीय विविधता भी दर्शाई गई है, जो बिहार में वोटिंग में महत्वपूर्ण है।
कई राज्यों में हुए राजनीतिक प्रयोग
अलग-अलग राज्यों में हुए ऐतिहासिक राजनीतिक प्रयोगों में तेलुगु देशम पार्टी (TDP), असम गणा परिषद (AGP), और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसे दल शामिल हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में नई राजनीति और बदलाव की मिसाल पेश की।
TDP की स्थापना फिल्म सितारे एन टी रामाराव ने की थी, जिन्होंने तेलुगु गौरववाद पर जोर देकर राज्य में अपनी लोकप्रियता बनाई। उन्होंने राज्य भर में यात्रा कर प्रचार किया और राजनीति में रथ यात्रा की परंपरा शुरू की।
AGP की स्थापना असम के छात्रों ने की थी, जिन्होंने विदेशी विरोधी आंदोलन चलाया और 1985 में राज्य विधानसभा में भारी बहुमत से जीत हासिल की।
आम आदमी पार्टी की स्थापना 2012 में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जुड़ी युवाओं और कार्यकर्ताओं ने की थी। दिल्ली में 2013 और 2015 के चुनावों में उसने कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया और चुनावी राजनीति में एक नई मिसाल कायम की।
अब पीके की जन सुराज पार्टी बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती है। पीके ने कई पार्टियों के लिए रणनीति बनाई है और उन्हें कमजोरियों व ताकतों की अच्छी समझ है। यह पार्टी युवाओं पर भरोसा करती है, जो दो बड़े गठबंधनों के बीच खुद को विकल्पहीन महसूस कर रहे हैं।
अब सवाल है कि क्या PK नए NTR या केजरीवाल बन पाएंगे?