Do bigha Zameen: बिमल रॉय भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का वो सितारा हैं, जिसकी चमक उनके जाने के इतने साल बाद भी बरकरार है। उनकी बनाई फिल्में अपने दौर का दस्तावेज हैं। ठीक वैसे ही जैसे 1953 में आई उनकी फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ है। उस दौर में किसानों के हालात पर बनी ये फिल्म आज भी असरदार लगती है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि बिमल दा ने इस फिल्म का नाम गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोरी की कविता ‘दुई बीघा जमीन’ के नाम पर रखा था। इस फिल्म की कहानी इंडस्ट्रियलाइजेशन से जूझ रहे एक गरीब किसान की दुर्दशा पर आधारित थी।
बिमल दा, जैसा कि प्यार से लोग उन्हें बुलाते थे, उनकी क्लासिक फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ का नया 4K रीस्टोर वर्जन 4 सितंबर को वेनिस फिल्म फेस्टिवल के क्लासिक्स सेक्शन में दिखाया गया। इस बेहद खास मौके पर उनके परिवार 21 सदस्य मौजूद थे। इनमें 83 साल के बुजुर्ग से लेकर 8 साल के बच्चे तक तीन पीढ़ियों के लोग शामिल थे। इसकी स्क्रीनिंग उनके बच्चों रिंकी रॉय भट्टाचार्य, अपराजिता रॉय सिन्हा और जॉय बिमल रॉय द्वारा की गई।
आसान नहीं था फिर से पर्दे पर पहुंचने का सफर
‘दो बीघा जमीन’ को वेनिस फिल्म फेस्टिवल के क्लासिक्स सेक्शन में प्रदर्शित किया गया। एफएचएफ, क्राइटेरियन कलेक्शन और जेनस फिल्म्स रिस्टोरेशन ने रिस्टोरेशन की प्रक्रिया 2022 में शुरू की थी और इसे पूरा करने में करीब 3 साल का समय लगा। नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया में रखा असली नेगेटिव पानी और फंफूदी से खराब हो चुका था, कई फ्रेम टूट चुके थे और कुछ हिस्से तो गायब थे। फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन (एफएचएफ), क्राइटेरियन कलेक्शन और जेनस फिल्म्स ने बिमल रॉय की इस क्लासिक फिल्म को 4के वर्जन में बिमल रॉय परिवार के सहयोग से एल'इमेजिन रिट्रोवाटा और रेसिलियन में रिस्टोर किया है। इसमें ब्रिटिश फ़िल्म इंस्टीट्यूट में सुरक्षित एक 35एमएम डुप्लीकेट नेगेटिव से काफी मदद मिली। इससे शुरुआती टाइटल और अंतिम रील जैसे हिस्सों को दोबारा तैयार किया गया।
फिल्म ने जीते थे कई अवॉर्ड