जब देश कारगिल विजय दिवस पर अपने वीर जवानों को सलाम कर रहा है, तब एक ऐसा नाम सामने आया जिसने रील से निकलकर रियल जिंदगी में देश की सेवा की, उस खास व्यक्ति का नाम है नाना पाटेकर। अपनी दमदार एक्टिंग और देशभक्ति से भरपूर छवि के लिए पहचाने जाने वाले एक्टर ने 1999 में चल रहे कारगिल युद्ध के दौरान वर्दी पहनकर सेना के साथ मोर्चा संभाला।
नाना पाटेकर जो हिंदी और मराठी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता हैं। 1978 में 'गमन' से शुरुआत करने के बाद उन्होंने 'परिंदा', 'प्रहार', 'अंगार', 'सालाम बॉम्बे' और 'तिरंगा' जैसी फिल्मों से दर्शकों का दिल जीता है। वे दिखने में पारंपरिक हीरो जैसे नहीं थे, लेकिन उनकी एक्टिंग में जो गहराई और असर था, उसने उन्हें खास बना दिया।
'प्रहार' फिल्म की शूटिंग के लिए उन्होंने तीन साल तक मराठा लाइट इन्फैंट्री के साथ सच्ची सैन्य ट्रेनिंग की। उनका यह अनुभव इतना ज्यादा प्रभावशाली था कि जब कारगिल युद्ध शुरू हुआ, तो नाना चुप नहीं बैठे। उन्होंने सेना में शामिल होने की इच्छा जताई। शुरू में सेना के बड़े अधिकारियों ने उनका अनुरोध खारिज कर दिया लेकिन एक्टर ने कोशिश नहीं छोड़ी।
आखिरकार, उन्होंने सीधे उस समय के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस से संपर्क किया। तब जाकर उन्हें ये सुनहरा मौका मिला। अगस्त 1999 में नाना भारतीय सेना में कप्तान के तौर पर शामिल हुए। उन्होंने न सिर्फ बॉर्डर पर पेट्रोलिंग की, बल्कि अस्पतालों में घायल जवानों की सेवा भी की।
इस दौरान उनका वजन 76 किलो से घटकर 56 किलो हो गया। फिर भी उन्होंने कभी शिकायत नहीं की, बल्कि गर्व महसूस किया कि उन्हें देश के लिए कुछ करने का मौका मिला। एक्टर ने अपने एक्टिंग से पूर बॉलीवुड में अपना लोहा मनवाया है।