Kishore Kumar Death Anniversary: हिंदी सिनेमा के दिग्गज सिंगर-एक्टर किशोर कुमार आज भी दर्शकों के जहन में रचे बसे हुए हैं। उन्होंने हर जॉनर की फिल्मों में शानदार काम किया है, और सफल भी रहे। किशोर दा ने अपनी जिंदगी को हमेशा अपनी शर्तों पर जिया है। कहते हैं कि सिंगर बेहद मस्त मौला इंसान थे, लेकिन जिद्दी भी बहुत थे। एक्टिंग के साथ उन्होंने हिन्दी सिनेमा को अपनी जादुई आवाज में कई हिट गाने भी दिए हैं। दा कि बर्थ एनिवर्सरी पर उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें जानते हैं।
किशोर कुमार की आवाज जितनी सुरीली थी, उनके जीवन उतनी ही संघर्षभरा रहा है। किशोर दा का व्यक्तित्व हर दिल करीब लेकिन थोड़ा अजीब था। कहते है कि उनकी आवाज बचपन से ऐसी नहीं रही है। उनको एक बार गले में चाकू लग गया था, जिसके बाद वे बहुत रोए और उनकी आवाज चेंज हो गई थी। किशोर दा ने चार शादियां की थी। इतना ही नहीं उन्होंने मधुबाला से शादी करने के लिए अपना धर्म तक बदल लिया था।
अपने मस्त मौला अंदाज के लिए जाने जाने वाले किशोर दा का खंडवा से ताल्लुक गहरा था। खंडवा का हर इंसान उनके दिल में बसता था, उनका परिवार था। किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 में खंडवा में ही हुआ था। उन्हें अपने गांव से बेहद लगाव था। अर्श से फर्श पर पहुंचने के बाद भी वे अपने गांव को नहीं भूले थे।
हिंदी सिनेमा के बादशाह बनने के बाद जब भी उनकी एक खासियत लोगों का दिल जीत लेती थी। किशोर दा दुनियाभर में कहीं भी शो करते थे तो मंच पर पहुंचकर हाथ जोड़कर उनके शुरुआती शब्द होते थे 'मेरे दादा-दादियों, मेरे नाना-नानियों और मेरे भाई-बहनों तुम सबको खंडवा वाले किशोर कुमार की राम-राम.' उनका ये संबोधन सुनकर हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता था।
किशोर कुमार ने खंडवा के डबल फाटक स्कूल से पढ़ाई कर इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया था। वहां भी उनकी शरारतें खत्म नहीं हुईं। कभी डेस्क बजाना, कभी गाना गुनगुनाना, यही रोज का काम था। वे कॉलेज के पास की दुकान से खूब उधार लिया करते थे। दुकानदार के “पांच रुपए बारह आने” रह गए, और यही लाइन बाद में उनके गीत “चलती का नाम गाड़ी” में जोड़ी गई।
अपनी पत्नी रूमा से अलग होने के बाद किशोर कुमार की जिंदगी में मधुबाला ने दस्तक दी थी। दोनों ने साथ में “झुमरू” और “हाफ टिकट” जैसी हिट फिल्मों में काम किया था। दिल की बीमारी से जूझ रहीं मधुबाला से उन्होंने 1 अक्टूबर 1960 को शादी कर ली थी। शादी के लिए उन्होंने धर्म बदला और “अब्दुल करीम” बन गए। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था, मधुबाला का 1969 में कैंसर से निधन हो गया। इसके बाद किशोर पूरी तरह टूट गए थे।
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