Tejashwi Yadav Missing: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव को लापता बताए जाने से संबंधित भारतीय जनत पार्टी (BJP) की एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बिहार बीजेपी की सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, "लापता की तलाश! नाम-तेजस्वी यादव, पहचान-नौवीं फेल, आखिरी बार कब देखा गया-मीडिया से मुंह छिपाकर भागते हुए।" इस मुद्दे पर जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भी आक्रामक प्रतिक्रिया दी।
JDU के विधान परिषद सदस्य और प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि जो छात्र पढ़ाई में रुचि नहीं रखते। वे अक्सर स्कूल से भागते हैं। कुमार ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव भी उसी तरह स्कूल से भागे हुए नेता हैं। उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनता ने उन्हें राजनीतिक रूप से नकार दिया है। और यही वजह है कि वे सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाए हुए हैं।
कुमार ने कहा, "तेजस्वी यादव के पिता को ही यह नहीं पता कि उनका बेटा कहां है, तो प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल क्या जानकारी देंगे।" उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज में सवाल उठाया कि तेजस्वी यादव आखिर किस ग्रह पर हैं। कुमार ने कटाक्ष करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव खुद बिहार की राजनीति के लिए एक ‘ग्रह’ बन चुके हैं, जो केवल बाधा उत्पन्न करता है।
बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के करीब 20 दिन बाद 4 दिसंबर को तेजस्वी यादव यूरोप गए थे। इस दौरान उनकी पत्नी और दोनों बच्चे भी उनके साथ थे। नेता प्रतिपक्ष होने के बावजूद उन्होंने विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र में भी भाग नहीं लिया। इसे लेकर सत्ता पक्ष लगातार निशाना साध रहा है।
उन्होंने पहले दिन शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था। फिर दूसरे दिन स्पीकर के चुनाव के दौरान भी मौजूद थे। हालांकि, वह तीसरे दिन राज्यपाल के भाषण के दौरान मौजूद नहीं थे, जिसके बाद वह दिल्ली चले गए। BJP ने इस गैरमौजूदगी का फायदा उठाकर अपने हमले तेज कर दिए हैं।
बीजेपी ने विपक्ष के नेता पर अहम समय में जिम्मेदारी से बचने का आरोप लगाया है। पार्टी नेताओं ने यह भी बताया है कि RJD की भारी हार के बाद बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से तेजस्वी यादव ज्यादातर मीडिया से बचते रहे हैं।
हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सिर्फ़ 25 सीटों पर सिमट गई। जबकि NDA ने भारी बहुमत से सरकार बनाई। BJP का दावा है कि तेजस्वी यादव की चुप्पी और गैरमौजूदगी चुनावी नतीजों से उनकी बेचैनी को दिखाती है।