SIR ड्राफ्ट लिस्ट में TMC विधायक के भतीजे महबूब हसन का नाम गायब, पश्चिम बंगाल के डोमकल में सियासी हलचल तेज

West Bengal SIR: ड्राफ्ट लिस्ट जारी होने के बाद जब महबूब हसन ने अपना नाम जांचा, तो वह सूची से बाहर मिला। इसके बाद उन्होंने BDO और BLO पर गंभीर आरोप लगाए। महबूब हसन का दावा है कि उनका नाम जानबूझकर और सिस्टमैटिक तरीके से हटाया गया है। उन्होंने कहा कि SIR की अंतिम तारीख 12 दिसंबर को उनसे एक आवेदन लिखवाया गया, जिससे उनका नाम सूची से बाहर हो गया

अपडेटेड Dec 18, 2025 पर 9:04 PM
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West Bengal SIR: SIR ड्राफ्ट लिस्ट में TMC विधायक के भतीजे महबूब हसन का नाम गायब (FILE PHOTO)

पश्चिम बंगाल में SIR के बाद जारी हुई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लेकर विवाद सामने आने लगे हैं। ताजा मामला मुर्शिदाबाद के डोमकल इलाके का है, जहां तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक जफीकुल इस्लाम के भतीजे और स्थानीय TMC नेता महबूब हसन का नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में नहीं पाया गया। नाम गायब होने की खबर सामने आते ही इलाके में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

ड्राफ्ट सूची जारी होने के बाद जब महबूब हसन ने अपना नाम जांचा, तो वह सूची से बाहर मिला। इसके बाद उन्होंने BDO और BLO पर गंभीर आरोप लगाए। महबूब हसन का दावा है कि उनका नाम जानबूझकर और सिस्टमैटिक तरीके से हटाया गया है। उन्होंने कहा कि SIR की अंतिम तारीख 12 दिसंबर को उनसे एक आवेदन लिखवाया गया, जिससे उनका नाम सूची से बाहर हो गया।

महबूब हसन का आरोप है कि 12 दिसंबर की शाम करीब 4 बजे उन्हें BDO ऑफिस बुलाया गया। वहां चुनाव से जुड़े अधिकारी मौजूद थे और उनसे एक आवेदन लिखवाया गया। उनका कहना है कि उस वक्त उन्हें कुछ भी ठीक से नहीं बताया गया। बाद में जब ड्राफ्ट सूची आई, तो उनका नाम उसमें नहीं था। महबूब ने यह भी दावा किया कि उनके पास इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े रिकॉर्डिंग और सबूत हैं, जिन्हें वह सही समय पर सामने रखेंगे।

इस मामले ने इसलिए भी तूल पकड़ लिया है क्योंकि महबूब हसन एक सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक के भतीजे हैं। स्थानीय स्तर पर TMC नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है। उनका कहना है कि अगर सत्ताधारी दल के नेता का नाम भी सुरक्षित नहीं है, तो आम मतदाताओं के साथ क्या हो रहा होगा, यह बड़ा सवाल है।

हालांकि, BDO ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि SIR की प्रक्रिया पूरी तरह चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार की गई है और किसी के साथ जानबूझकर भेदभाव नहीं हुआ है। उनके मुताबिक, नाम जोड़ने या हटाने का फैसला दस्तावेजों और तय प्रक्रिया के आधार पर होता है, न कि किसी राजनीतिक दबाव में।


प्रशासन का यह भी कहना है कि ड्राफ्ट सूची अभी अंतिम नहीं है। जिन मतदाताओं का नाम छूट गया है, वे क्लेम और ऑब्जेक्शन की प्रक्रिया के तहत तय समय सीमा में आवेदन देकर अपना नाम दोबारा जुड़वा सकते हैं।

हालांकि, SIR के बाद ड्राफ्ट सूची जारी होते ही इस तरह के विवाद लगातार सामने आ रहे हैं और आने वाले दिनों में भी ऐसे मामले सामने आने की आशंका बनी हुई है।

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