पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार द्वारा 'MGNREGA योजना' से महात्मा गांधी का नाम हटाने के फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की है। गुरुवार (18 दिसंबर) को कोलकाता में आयोजित राज्य के पहले उद्योग एवं वाणिज्य सम्मेलन के मंच से ममता ने ऐलान किया कि पश्चिम बंगाल की रोजगार योजना 'कर्मश्री' का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि अगर केंद्र सरकार राष्ट्रपिता का नाम मिटाने की कोशिश करेगी, तो बंगाल इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "अगर आप गांधी जी का सम्मान नहीं करेंगे, तो हम करेंगे। हमें पता है कि राष्ट्रपिता का सम्मान कैसे किया जाता है।"
दरअसल, हाल ही में लोकसभा में पारित नए ग्रामीण रोजगार विधेयक को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। इस विधेयक के तहत लंबे समय से चल रही मनरेगा (MGNREGA) योजना के नाम से महात्मा गांधी का नाम हटाकर नया नाम दिया गया है। विपक्षी दलों और कई राज्य सरकारों ने इसे गांधी के योगदान को नजरअंदाज करने वाला कदम बताया है।
ममता बनर्जी ने सम्मेलन के मंच से इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, "100 दिन के काम से गांधी जी का नाम हटा दिया गया है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, राष्ट्रपिता को भूल जाना शर्मनाक है।"
मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा कि बंगाल सरकार का यह फैसला केवल राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि एक वैचारिक रुख भी है। उनके मुताबिक, महात्मा गांधी का नाम ग्रामीण रोजगार, श्रम की गरिमा और आत्मनिर्भरता से जुड़ा हुआ है। ऐसे में रोजगार योजनाओं से उनका नाम हटाना गलत संदेश देता है।
ममता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार को नाम बदलने के बजाय काम पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, "हर चीज में दखल देना सही नहीं है। नाम बदलने से कुछ नहीं होगा। असली ज़ोर काम और रोज़गार पर होना चाहिए।"
वहीं, ममता बनर्जी के इस फैसले को बंगाल चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। मनरेगा और ग्रामीण रोजगार योजनाएं राज्य के ग्रामीण और गरीब तबके से सीधे जुड़ी हुई हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गांधी का नाम जोड़कर ममता बनर्जी केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ नैतिक और राजनीतिक बढ़त लेने की कोशिश कर रही हैं।
जबकि, TMC इसे इतिहास और गांधीवादी मूल्यों की रक्षा के रूप में पेश कर रही है। बंगाल में सत्ताधारी पार्टी का कहना है कि बंगाल में विकास और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को किसी भी हाल में कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।